दुर्विनियोग का अर्थ होता है गबन करना, अर्थात किसी भी संपत्ति को बेईमानी से रख लेना। चोरी का अपराध भी यही कहता है लेकिन दोनो में अंतर है। आपराधिक दुर्विनियोग का अपराध वहाँ होता है जहाँ पर कोई वस्तु को या संपत्ति को प्राप्त करने के बाद गबन किया जाता है। जैसे कि :- सुमित, सुनील को कुछ पुस्तकें पढ़ने को देता है 'सुनील, कुछ दिन पढ़ने के बाद वो पुस्तक ' सुमित, को नहीं लौटता बल्कि किसी और को बेच देता है। ऐसी स्थिति में सुनील यहाँ पर दुर्विनियोग (गबन) के अपराध का दोषी होगा।
चोरी और दुर्विनियोग में अंतर
चोरी का अपराध वहाँ होता है जहाँ पर बिना सहमति के बेईमानी के उद्देश्य से किसी संपत्ति को ले लिया गया है। जैसे कि सुनील, सुमित की सहमति के बिना पुस्तकालय से पुस्तकें ले जाता है और उन्हें बेच देता है। तब सुनील ने चोरी का अपराध किया है। "सरल शब्दों में अगर कहें तो किसी भी चल संपत्ति को कानूनी तरीके से प्राप्त करने के बाद बेईमानी के उद्देश्य से उसका गबन कर लेना आपराधिक दुर्विनियोग का अपराध होता है।
आपराधिक दुर्विनियोग के लिए दण्ड का प्रावधान:-
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 403 में आपराधिक दुर्विनियोग को अपराध माना है। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होता है इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 403 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 (1) के अनुसार संपत्ति के दुर्विनियोग का अपराध एक समझौता योग्य अपराध होता है। यह समझौता न्यायालय की बिना आज्ञा के उस व्यक्ति से किया जाता है जिस व्यक्ति की चल संपत्ति का दुर्विनियोग किया गया है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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