legal advice- आरोपी या उसके साथी पर अपराध स्वीकार करने धमकी देना या दबाव बनाना क्या अपराध है

पुलिस इन्वेस्टिगेशन के दौरान दिए गए बयान कोर्ट में दंड निर्धारण के लिए पर्याप्त नहीं होते लेकिन न्यायालय में दिए गए बयान, अपराध की स्वीकृति साक्ष्य अभिलेख का भाग होती है। यदि न्यायालय में बयान के लिए आरोपी अथवा उसके साथी पर अपराध स्वीकार करने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव बनाया जाता है अथवा धमकी दी जाती है, तब इसे अपराध माना जाता है या नहीं और इसके लिए कानून में क्या प्रावधान है, जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 316 की परिभाषा

न्यायालय में किसी मामले की जाँच या विचारण के समय किसी भी आरोपी या सह आरोपी की स्वीकृति के लिए या किसी बात को जानने के लिए या न बताने के लिए धमकी, लालच, डराव आदि का सहारा नहीं लिया जाएगा उसे अपने अनुसार बयान देने के लिए स्वतंत्र रखा जाएगा।

विशेष नोट:- यह धारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 एवं 307 (क्षमायाचना) वाले सह आरोपी पर लागू नहीं होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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