CrPC की धारा 313- क्या आरोपी के बयान साक्ष्य के हिस्सा हो सकते हैं, पढ़िए - 313 crpc in hindi

313 crpc in hindi- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के अंतर्गत आरोपी की परीक्षा न्यायालय जाँच या विचारण के दौरान कभी भी करवा सकता है। अगर आरोपी अपराध को स्वीकार नहीं करता है या स्वीकार कर लेता है या झूठी गवाही देता है तब क्या उसके यह बयान न्यायालय द्वारा अभिलिखित होंगे और साक्ष्य में उनको रखा जा सकता है क्योंकि सीआरपीसी की धारा 313 की उपधारा 02 एवं 03 में स्पष्ट बताया गया है की आरोपी झूठा बयान भी देता है तो वह अपराध नहीं होगा जानते हैं।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 313 की उपधारा 04 एवं 05 की परिभाषा:-

• आरोपी का जब संहिता की धारा 313(1) के अंतर्गत न्यायालय जाँच या विचारण के दौरान कोई बयान लेता है तब उसके उत्तरों को पक्षकार के विरुद्ध साक्ष्य के तौर पर रखा जा सकता है।
• न्यायालय ठोस प्रश्नों के उत्तर को  अभिलिखित कर सकता है एवं अभियोजन पक्ष की प्रतिपरीक्षा(पुनः बयान) करवा सकता है। या ऐसा करने की लिए आज्ञा दे सकता है।

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"साधारण शब्दों में कहे तो आरोपी के 313 के बयान साक्ष्य के रूप में लिए जा सकते हैं और न्यायालय द्वारा अभिलिखित होंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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