कई बार किसी अपराध में एक से अधिक आरोपी होते हैं। कुछ नियमित रूप से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होते हैं। कभी-कभी कोई फरार हो जाता है। कुछ मामलों में पुलिस किसी एक व्यक्ति का पता नहीं लगा पाती। वह अज्ञात होता है। आइए जानते हैं कि कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत होने के बाद अज्ञात या फरार आरोपी के खिलाफ साक्ष्य का संकलन किस प्रकार किया जाएगा।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 299 की परिभाषा
1. अगर कोई आरोपी व्यक्ति अपराध करने के बाद फरार हो गया है। नहीं मिल रहा है या तुरंत गिरफ्तार करने की संभावना नहीं है, तब न्यायालय ऐसे फरार व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य के लिए परिवाद में अभियोजन पक्ष (पीड़ित व्यक्ति) के साक्षी के एवं साक्ष्य के आधार पर आरोपी के आरोपों को देखेगा एवं अभिलिखित करेगा।
2. अगर कोई अपराध का आरोपी अज्ञात है अर्थात उसके बारे में किसी को पता नहीं है कि ऐसा अपराध जो मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास से दंडनीय है। अज्ञात व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किया गया है। तब तब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय के आदेश पर कोई भी प्रथम वर्ग का न्यायिक मजिस्ट्रेट जाँच करेगा एवं साक्षियों की अपराध के बारे में परीक्षा लेगा एवं इसी के आधार पर अज्ञात आरोपी का पता लगाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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