भारत में किसके समक्ष ली गई प्रतिज्ञा को कानूनी मान्यता प्राप्त है, पढ़िए- CrPC 297

Bhopal Samachar
0
भारतवर्ष में लोग जिस के प्रति आस्था रखते थे उसे साक्षी मानकर समाज के सामने प्रतिज्ञा धारण कर लेते थे, और उस प्रतिज्ञा को सामाजिक मान्यता प्राप्त हो जाती थी परंतु अब भारत में संविधान लागू है। कानून का शासन है। अतः कोर्ट में किसी भी प्रतिज्ञा का महत्व तभी स्वीकार किया जाएगा जबकि उसे कानूनी मान्यता प्राप्त हो। आइए जानते हैं कि वह कौन प्राधिकारी है जिसके समक्ष ली गई प्रतिज्ञा को कानूनी मान्यता प्राप्त है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 297 की परिभाषा

1. दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन किसी भी उपयोग में लाने वाले शपथ पत्र, शपथ ग्रहण, प्रतिज्ञा आदि निम्न के समक्ष किया जा सकता है :- 
(क). कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोई भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट।
(ख). हाईकोर्ट या सत्र न्यायालय द्वारा नियुक्त कोई शपथ पत्र आयुक्त।
(ग). नोटरी अधिनियम, 1952 के अधीन नियुक्त कोई नोटरी।

2. शपथ पत्र में अभिसाक्षी स्वंय अपनी जानकारी के अनुसार लेगा एवं सभी तथ्यों का समर्थन करेगा अगर कोई साक्ष्य अलग अलग होंगे तो उनको स्पष्ट करेगा।
3. न्यायालय को यह अधिकार है कि वह किसी कलंकात्मक एवं विसंगत बाटे को काटने या संशोधित करने का आदेश दे सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!