फर्जी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी बनकर क्राइम करने पर कितनी सजा मिलेगी, जानिए- Legal Advice

Bhopal Samachar
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प्रतिरूपण का अर्थ होता है किसी व्यक्ति का रूप धारण कर लेना यहाँ पर रूप का अर्थ पद नाम भी होता है जैसे की कोई पुलिस कांस्टेबल स्वयं को थाना अधिकारी बताकर कोई अपराधिक कार्य कर रहा हो यहाँ पर उसने थाना अधिकारी के पद नाम का प्रतिरूपण किया है। वर्तमान समय की अगर हम बात करे तो बहुत से ऐसे निम्न वर्ग के अधिकारी हैं या बहुत से फर्जी व्यक्ति होते हैं हो स्वयं को किसी विभाग या आयोग का ऑफिसर या लोकसेवक बताकर आम जनता के साथ लूटपाट करते हैं यह धारा उन्ही फर्जी व्यक्ति पर लागू होती है जो ऐसा अपकृत्य (बुरे कार्य) करते हैं जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 170 की परिभाषा

सीआरपीसी 1860 की धारा 170 के अनुसार भारत में कोई भी व्यक्ति किसी लोकसेवक के पद नाम का आपराधिक उद्देश्य से झूठा प्रतिरूपण (वेष धारण) करेगा, जिससे किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की क्षति (नुकसान) हो ऐसा व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा एवं दंड का पात्र माना जाएगा। उसके किए गए अपराध के अतिरिक्त इस धारा के तहत भी दंडित किया जाएगा। 

महत्वपूर्ण नोट:-
1. जो व्यक्ति किसी पुलिस अधिकारी या किसी विभागीय अधिकारी के नाम पद का प्रतिरूपण कर रहा है उसका आपराधिक कार्य उसी विभाग से सम्बंधित होना चाहिए अर्थात पुलिस अधिकारी का कार्य होता है अपराध को रोकना अगर कोई पुलिस अधिकारी बनकर अपराध को नहीं रोकता है या धोखाधड़ी करता हैं तब यह अपराध होगा लेकिन कोई व्यक्ति स्वयं को सरकारी अधिकारी बताकर व्यक्तियों से पैसा-अनाज लूट लेता है तब यह छल का अपराध होगा न की प्रतिरूपण का। अगर हम साधारण शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति द्वारा पदीय रूपांतरण कर उसी पद के अनुसार अपराध करना अपराध हो।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 170 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

उपर्युक्त धारा का अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

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