कमिश्नर-कमिश्नर में फर्क होता है- INDORE का चप्पा-चप्पा क्लीन और GWALIOR डस्टबिन

ग्वालियर
। सुबह सवेरे खबर आई कि इंदौर में दीपावली की रात 4:00 बजे तक आतिशबाजी होती रही और सुबह 6:00 बजे सूर्योदय से पहले इंदौर की सड़कें चकाचक नजर आ रही थी। पूरा शहर क्लीन हो चुका था। ग्वालियर के पत्रकार इसी उत्साह में घर से निकले कि उनका शहर भी क्लीन हो गया होगा। चप्पा-चप्पा छान मारा। पूरा शहर एक डस्टबिन की तरह दिखाई दे रहा है। विश्वास नहीं हो रहा कि मध्य प्रदेश की एक स्मार्ट सिटी में भी ऐसा हो सकता है। 
 
ग्वालियर शहर ने सोमवार को दीपावली पूरे जोश के साथ मनाई गई। जमकर आतिशबाजी की गई। दीपावली के दूसरे दिन सफाई कर्मचारियों की छुट्टी होती है, लेकिन सफाई कर्मचारी दीपावली की सुबह सफाई करके छुट्टी पर चले जाते हैं। यानी दीपावली के दिन हाफ डे और दूसरे दिन पूरी छुट्टी। यह परंपरा वर्षो पुरानी है और स्मार्ट सिटी बनने के बाद भी नहीं टूटी। महाराज बाड़ा पर दीपोत्सव के पहले सड़क पर बैठकर व्यापार करने वाले हॉकर्स के जाने के बाद उनका कचरा चारों तरफ पड़ा नजर आ रहा है। पूरे ग्वालियर शहर में बिल्कुल ऐसा ही नजारा दिखाई दे रहा है।

ग्वालियर शहर में इस समय 600 टन कचरा मौजूद

सोमवार को दीपावली का त्योहार था और शहर में वार्ड नंबर एक से लेकर 66 तक मंगलवार को कचरा नहीं उठा। निगम का कहना है कि लगभग 500 से 600 टन कचरा उठकर लैंडफिल साइट पर नहीं पहुंच सका। अब बुधवार को लगभग 400 टन कचरा दूसरे दिन का और जुड़ जाएगा। सवाल यह है कि क्या बुधवार को 1 दिन में 1000 टन कचरा उठाया जा सकेगा। या फिर उसमें से ज्यादातर यहां वहां छुपा दिया जाएगा। 

बाजार बंद होने से पहले ही नगर निगम छुट्टी पर चला गया

शहर के प्रमुख बाजार महाराज बाड़ा, सराफा व हेमू कालानी चौक, उपनगर ग्वालियर किला गेट, उपनगर मुरार के सदर बाजार, बजाज खाना व थाटीपुर के मयूर मार्केट सहित अन्य बाजारों में कचरा ही कचरा कचरा पड़ा, क्योंकि यहां हॉकर्स, ठेला वाले सामान बेचने के बाद कचरा छोड़कर चले गए। इनके जाने के बाद नगर निगम सफाई करवानी थी परंतु नहीं करवाई, क्योंकि सफाई कर्मचारी हाफ डे पर थे और वह दुकानदारों से पहले ही छुट्टी पर चले गए थे।

दुकानदारों से किराया लिया लेकिन सफाई नहीं की

मेला मैदान और गिरवाई नाका पर आतिशबाजी की दुकानें लगाई गई थीं। दोनों जगह दुकानों के आगे और पीछे कचरा काफी मात्रा में निकला। दुकानदारों से किराया लिया गया लेकिन आतिशबाजी के बाजार में सफाई कर्मचारियों की स्थाई तैनाती नहीं की गई। चारों तरफ कचरे का ढेर लग गया है।

ग्वालियर में पॉश कॉलोनियों से लेकर गली मोहल्लों तक कचरा ही कचरा

दीपावली की रात आतिशबाजी के चलते पॉश कॉलोनियों से लेकर गली मोहल्लों तक कचरा ही कचरा फैला हुआ है। हरिशंकरपुरम, माधवनगर, थाटीपुर दर्पण कॉलोनी, जीवाजीगंज, गेंडेवाली सड़क, लक्ष्मण तलैया, मुरार, सदर बाजार, लश्कर सराफा यहां भी काफी मात्रा में कचरा बिखरा हुआ है। 

कमिश्नर-कमिश्नर में फर्क होता है 

दरअसल यहां दुकानदार, ग्वालियर के लोग और सफाई कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। यह सिस्टम की कमी का जीता जागता प्रमाण है। जब किसी कमिश्नर को सिस्टम बनाना आता है तो उसका शहर नंबर वन हो जाता है और जो कमिश्नर दीपावली की छुट्टी मनाता है, उसका शहर डस्टबिन बन जाता है। 

महाराज साहब, सड़क पर झाड़ू लगाने से कुछ नहीं होता 

पिछले कुछ दिनों से महाराज साहब श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वयं झाड़ू लगाकर, कचरा उठाकर कोई संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं परंतु इस तरह के संदेशों का असर वहां पड़ता है जहां शर्म और स्वाभिमान रहते हैं। यहां सड़क पर झाड़ू लगाने से कुछ नहीं होता। कुछ लोगों के दिमाग में जाले लगे हुए हैं। उन्हें साफ करना जरूरी है। जब पुराना जिद्दी कूड़ा और जंग साफ करनी हो तो जोर से रगड़ना पड़ता है।
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