जैसा की हमने आपको बताया था कि सिविल मामलों में अगर न्यायालय को लगता है कि प्रतिवादी निर्णय से पूर्व ही फरार हो सकता है या संपत्ति मामलों में संपत्ति विक्रय, स्थानंतरण आदि कर सकता है या मनाही के आदेश का उल्लंघन कर सकता है तब न्यायालय प्रतिवादी के विरुद्ध अतिरिक्त कार्यवाही करने की शक्ति रखता है। लेकिन न्यायालय को वादी द्वारा ही विश्वास दिलाया जाता है की प्रतिवादी ऐसा कर सकता है अगर न्यायालय अपर्याप्त आधार पर प्रतिवादी के विरुद्ध अतिरिक्त कार्यवाही कर दे तब प्रतिवादी का क्या अधिकार होगा जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 95 की परिभाषा:-
अगर कोई सिविल कोर्ट बिना ठोस सबूत, तथ्यों या अपर्याप्त आधार के प्रतिवादी के विरुद्ध अनुपूरक कार्यवाही कर देता है और प्रतिवादी इस बात को न्यायालय में साबित कर दे की न्यायालय द्वारा की गई अनुपूरक (अतिरिक्त) कार्यवाही करने का ठोस आधार नहीं था न्यायालय प्रतिवादी के हुये खर्च, क्षति व इज्जत को ध्यान में रखते हुए प्रतिकर दिलाया जाएगा।
प्रतिकर की रकम वादी द्वारा ली का सकती है यह रकम अधिकतम 50 हजार रुपए की होगी।
कुल-मिलाकर अगर बात करें तो यह धारा न्यायालय की सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 94 के अंतर्गत दी गई अनुपूरक शक्ति पर थोड़ा अंकुश लगाती है एवं न्यायालय को बताती है की प्रतिवादी पर अनुपूरक कार्यवाही करने से पहले थोडी सावधानी बरतनी चाहिए एवं अपर्याप्त आधार पर कार्यवाही नहीं करना चाहिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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