भोपाल। मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ नगर पालिका में अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की 40 साल की दोस्ती खटाई में पड़ गई। दिग्विजय सिंह ने अपनी मर्जी का अध्यक्ष बनाने के लिए तमाम जोड़-तोड़ किए लेकिन अंत में कमलनाथ ने अचानक कैंडिडेट घोषित कर दिया।
सभी जानते हैं कि टीकमगढ़, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की व्यक्तिगत रूचि का क्षेत्र है। यहां यादवेंद्र सिंह गुट को सुरक्षित करने के लिए दिग्विजय सिंह कई बार दिल्ली की महत्वपूर्ण मीटिंग छोड़कर रातों-रात टीकमगढ़ पहुंचे हैं। जिला पंचायत के चुनाव में करारी शिकस्त के बाद नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने के लिए दिग्विजय सिंह काफी जोड़-तोड़ कर रहे थे।
तीन गुटों में बंटी कांग्रेस के 14 पार्षदों को एकता के नाम पर अपने बंगले में बुला लिया था। एक फोटो जारी हुआ था जिसके माध्यम से हम साथ-साथ हैं का मैसेज दिया गया था। मजेदार बात यह है कि, यह सारा घटनाक्रम कमलनाथ की जानकारी के बाहर चल रहा था।
दिग्विजय सिंह ने जब अपने बंगले पर वोटिंग कराई तो उनके पप्पू मालिक को 7 वोट और सुषमा संजय नायक को 7 वोट मिले थे। दिग्विजय सिंह टीकमगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने समर्थक अब्दुल गफ्फार खान पप्पू मलिक को बिठाना चाहते थे परंतु कमलनाथ ने अचानक श्रीमती पूनम रजनी जायसवाल को कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया। मजेदार बात यह है कि इसकी सूचना नवीन साहू जिला अध्यक्ष टीकमगढ़ को दी गई है। जिन्हें दिग्विजय सिंह ने इग्नोर कर दिया था।
कांग्रेस पार्टी की में टीकमगढ़ को लेकर तनाव का स्तर क्या है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने अब तक कोई कैंडिडेट घोषित नहीं किया है। देर शाम सिर्फ एक चिट्ठी जारी हुई है।