जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नगरपालिका चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को रूल-निसी की परिधि में रखकर प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन के नाम नोटिस जारी करके 7 दिन में जवाब मांगा है। अन्यथा की स्थिति में याचिकाकर्ता की मांग पूरी कर दी जाएगी।
दमोह कलेक्टर की आरक्षण प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता दमोह निवासी विवेक अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता भूपेंद्र शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जिला निर्वाचन अधिकारी, दमोह द्वारा की गई नगर पालिका, दमोह की आरक्षण प्रक्रिया अनुचित है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन ने मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर को नगर निगम व नगर पालिका में आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।
पूर्व निर्धारित OBC आरक्षण लागू किया जाना चाहिए था
इसके अलावा मई, 2022 में आयुक्त नगरीय प्रशासन से संबंधित पत्र भी रेखांकित करने योग्य है। जिसकी रोशनी में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा के अनुरूप पूर्व निर्धारित आरक्षण को ही उचित ठहराया गया था। लिहाजा, नये सिरे से परिवर्तित आरक्षण नहीं किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा किया गया।
कलेक्टर ने राजनीतिक दबाव में गलत आरक्षण लागू किया
अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार शुक्ला ने जोर देकर कहा कि स्थानीय सांसद प्रतिनिधि ने कलेक्टर को पत्र लिखकर पुन: आरक्षण की मांग की थी। जिसे मंजूर कर कलेक्टर ने पुन: आरक्षण की प्रक्रिया अपना ली। इससे साफ है कि राजनीतिक दबाव में मनमानी की गई है। इस तरह राजनीतिक हित साधने की दृष्टि से परिसीमन हुआ है, जो कि चुनौती के योग्य है।चूंकि यह प्रक्रिया नगर पालिका अधिनियम के विपरीत है, अत: कार्रवाई अपेक्षित है।