कई बार लो बिना अनुमति के किसी का वाहन लेकर चले जाते हैं। वह चोरी नहीं करते, कुछ समय बाद वापस आ जाते हैं। ऐसा वह कई कारणों से कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि ऐसे ही लोगों के खिलाफ किस कानून के तहत किस प्रकार की सजा का प्रावधान है।
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 197 की परिभाषा
• जो कोई व्यक्ति बिना वाहन स्वामी की सहमति के उसके वाहन को चलाएगा या किसी व्यक्ति को चलाने के लिए दुष्परेण करेगा।
• कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध रूप से किसी वाहन को बलपूर्वक ,धमकी द्वारा छीन लेगा या अपना नियंत्रण करेगा।
तब ऐसा करने वाले व्यक्ति को तीन माह की कारावास या पाँच हजार रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
विशेष नोट:- अगर न्यायालय को यह विश्वास हो जाता है कि किसी स्वामी की अनुमति के बिना वाहन तब चलाया गया है जब उसका कार्य विधि विरुद्ध नहीं था जैसे की किसी व्यक्ति का सड़क हादसा हो जाए, कोई व्यक्ति अचानक गंभीर बीमारी में ग्रस्त हो जाए या कोई भी वैध कारण हैं तब न्यायालय वाहन स्वामी से अपेक्षा करेगा कि ऐसी स्थिति में वाहन चालक को सहमति की आवश्यकता नहीं थी तब ऐसे व्यक्ति पर यह धारा लागू नहीं होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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