जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गृह विभाग मंत्रालय एवं पुलिस डिपार्टमेंट को आदेशित किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आरक्षित वर्ग के उन उम्मीदवारों को मर्जी के मुताबिक पोस्टिंग दें जिन्हें मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में नियुक्ति मिली है।
मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती सन 2017 में चयनित हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में नियुक्ति दी गई थी। उम्मीदवारों की चॉइस फिलिंग को दरकिनार करते हुए उन्हें SAF में पोस्टिंग दी गई। जबकि मेरिट लिस्ट में उनके नीचे वालों को जिला पुलिस बल और क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग दी गई। उम्मीदवारों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
उम्मीदवारों की ओर से एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर आदि ने उनका पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से अवगत कराया गया और बताया गया कि इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ और भारत संघ बनाम रमेश राम जैसे दर्जनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश है कि उम्मीदवारों को उनकी पसंद के मुताबिक पोस्टिंग दी जाए। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से असंगत है। इसलिए चुनौती योग्य है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला शाश्वत स्तर का है। इसका पालन अनिवार्य है।
गृह विभाग मंत्रालय के सचिव, मध्य प्रदेश पुलिस के डीजीपी एवं एडीजी को आदेशित किया है कि 2 महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उम्मीदवारों को पोस्टिंग देकर मामले का निराकरण करें।
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