फसल को नजर ना लगे इसलिए मैया को काला चश्मा चढ़ाते हैं किसान- famous temple of Chhattisgarh

भक्त श्रद्धा और निर्मल भाव से किसी भी विधि का पालन करें भगवान प्रसन्न हो ही जाते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक माता का मंदिर ऐसा है जहां किसान काला चश्मा चढ़ाते हैं ताकि उनकी फसल को किसी की नजर ना लगे और वर्षों से यह चमत्कार होता आ रहा है, काला चश्मा चढ़ाने वाले किसानों की फसल अच्छी होती है। उसमें कीड़े भी नहीं लगते।

छत्तीसगढ़ का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर- बस्तर वाली बस्ताबुंदिन माता

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के ग्राम कांगेरवैली नेशनल कोटमसर में हर तीन साल में मां बस्ताबुंदिन की यात्रा होती हैं, यहां माता को काला चश्मा चढ़ाने की परंपरा हैं। यहां के बुजुर्गों का मानना है, कि चश्मा चढ़ाने से मां उनके जंगलों एवं खेतों को बुरी नजर से बचाती हैं, जिस परम्परा को आज यहां युवा पीढ़ी भी अपना रहे हैं। 3 साल में एक बार यहां बड़ा मेला लगता है। खेती को किसी की नजर न लगे इसलिए चश्मा चढ़ाया जाता है। कई पीढ़ियों से ये चलता आ रहा है। 

कोटमसर में देवी बास्ताबुंदिन को चढ़ाए गए काले चश्मों का क्या होता है

मंदिर के पुजारी जीतू बताते हैं, कि इस मेले का आयोजन होना हैं। माता की कृपा से इस साल जंगल हरे भरें रहेंगे, वन देवी रक्षा करेंगी और भक्त इस बार भी माता को चश्मा चढ़ा कर अपनी मनौती मांगते हैं। पुजारी बताते हैं कि माता को चढ़ाया चश्मे भक्तों में प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता हैं। भक्त इन चश्मे को पहनकर गांव की परिक्रमा करते हैं ताकि देवी मां बास्ताबुंदिन की कृपा पूरे गांव और ग्राम वासियों पर बनी रहें।

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