जबलपुर। कमिश्नर कोर्ट ने सिवनी कलेक्टर के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसके तहत उपयंत्री मनरेगा राकेश कौशले की सेवा समाप्त कर दी गई थी। कमिश्नर ने कहा कि सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी भी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं कर सकते।
कमिश्नर बी चंद्रशेखर की कोर्ट ने कलेक्टर सिवनी के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें जनपद पंचायत लखनादौन में पदस्थ उपयंत्री मनरेगा राकेश कौशले की सेवा समाप्त कर दी गई थी। उपयंत्री की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि अपीलार्थी पर आरोप है कि उनकी 12 ग्राम पंचायतों की प्रगति रिपोर्ट कम है। कलेक्टर सह जिला कार्यक्रम समन्वयक ने उपयंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब पेश करने कहा।
अपील करने वाले उपयंत्री ने बताया कि उन्हें मौके पर जाकर मजदूरों की संख्या और मनरेगा के तहत कार्य का अवलोकन करने कहा गया, जबकि यह काम रोजगार सहायक, पंचायत सचिव और सरपंच का होता है। कलेक्टर ने 30 मार्च, 2022 को आरोप पत्र दिए बिना और सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना ही उपयंत्री की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया।
कमिश्नर कोर्ट ने कहा कि ऐसे अल्पावधि में नोटिस देकर किसी संविदा पर कार्यरत कर्मचारी का पक्ष सुने बिना उसकी सेवा समाप्ति न्यायहित में नहीं है। कोर्ट ने प्रकरण को वापस कलेक्टर को भेजकर सेवा नियमों के तहत उचित निर्णय करने कहा है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण समाचारों के लिए कृपया karmchari news पर क्लिक करें