आदरणीय शिवराज सिंह जी, सादर नमस्कार, आपने एक बार फिर से मप्र के अतिथिशिक्षकों के साथ छल किया है। कुछ दिन पूर्व आपने अतिथि शिक्षकों से विभागीय परीक्षा देने की बात की थी लेकिन 30 अप्रैल के बाद अतिथि शिक्षकों को सेवामुक्त करने के आदेश शिक्षा विभाग ने दे दिए है।
14-15 साल से यही व्यवस्था चली आ रही है। अब लगभग 3-4 माह अतिथि शिक्षक अपने परिवार व स्यंव का भरण पोषण कैसे करेंगे ये सवाल भी खुद को संवेदनशील कहते न थकने वाली इस सरकार के जहन मे नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अतिथि शिक्षकों के संबंध मे ऐसे कई बयान दे चुके है जिनसे आशा बंध जाती है। पर धरातल पर कुछ न किया। वो तो भला हो कमलनाथ सरकार का जिसने 25 अंक अनुभव के आधार पर दे दिए थे जिससे 5-10% पुराने अतिथि शिक्षक सेवा दे पा रहे हैं, वरना शिवराज सरकार ने वर्षों अतिथि शिक्षकों से काम लिया फिर आनलाइन अतिथि शिक्षक भर्ती के नाम पर इनको बाहर कर दिया।
मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों का मानदेय भी इतना कम है कि पेट पालना मुश्किल है। सरकार को अवकाश मानदेय भी अतिथि शिक्षकों को देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि आर्थिक परिस्तिथि के कारण हमें कुछ बुरी खबरें सुनने मिलें जैसी विगत दो वर्षों से मिल रहीं है।
छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली सभी राज्य सरकारों ने अतिथि शिक्षकों के संबंध मे संवेदनशीलता दिखाई है परंतु सैकड़ो जीवनलीला समाप्त होने के बाद भी मप्र की शिवराज सिंह चौहान की सरकार अतिथि शिक्षक, संविदाकर्मी, आउटसोर्स जैसी व्यवस्था बनाये हुए हैं।
जिसके लिए पहले ये दिग्विजय सिंह जी को कोसते थे। यदि इस सरकार के पास कोई नीति नहीं है तो छत्तीसगढ़ सरकार की अतिथि शिक्षक संबंधी नीति का अवलोकन कर ले ताकि इनकी समस्याओं का निदान कुछ सीमा तक संभव हो सके। सादर धन्यवाद, आशीष कुमार बिरथरिया, उदयपुरा जिला रायसेन मप्र।
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