पुलिस दल के सदस्य का प्राथमिक कर्तव्य है अपराध को रोकना एवं स्थानीय नागरिकों को सुरक्षा करना। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है एवं इनके संबंध में पुलिस एक्ट, 1861 की धारा 6 के अंतर्गत कोई भी राज्य नियम, विनियम बना सकते हैं।
महत्वपूर्ण वाद - चंद्र प्रकाश तिवारी बनाम शकुंतला शुक्ला मे न्यायालय द्वारा कहा गया है कि इस धारा के अंतर्गत बनाये गए नियम विधान के अंग ही माने जाएंगे, इसी प्रकार मध्यप्रदेश राज्य पुलिस विनियम भी एक विधान का अंग हैं। सवाल यह है कि किसी पुलिस अधिकारी को उसके निजी स्थान में पदस्थ किया जा सकता है या नहीं जानते हैं।
मध्यप्रदेश पुलिस रेगुलेशन का विनियम क्रमांक 63 की परिभाषा:-
• भर्ती होने वाले प्रत्येक पुलिस अधिकारी से उक्त नियम द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी प्रकार की अचल संपत्ति जो चाहे संयुक्त परिवार में हो या उसके अलग अधिकार में हो उसकी स्थिति, विस्तार क्षेत्र एवं मूल्य की जानकारी सही सही दे।
• किसी भी पुलिस अधिकारी को उस क्षेत्र में पदस्थ नहीं किया जाएगा जिसमे उसका परिवार संपत्ति धारण करता हो या उसका परिवार उस क्षेत्र में कोई व्यापार करता हो।
अर्थात हम कह सकते हैं कि किसी पुलिस अधिकारी को उसके निजी स्थान में पदस्थ कर देना मध्यप्रदेश पुलिस विनियम क्रमांक 63 का वैधानिक उल्लंघन मना जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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