न्यायालय में कौन से तथ्य साबित करवाना आवश्यक नहीं होता, जानिए- Law of Evidence

Bhopal Samachar
0
जब कोई वाद न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है तब मुख्य रूप से दो पक्षकार होती है एक वादी दूसरा प्रतिवादी दोनो पक्षकारों के वाद का निर्णय न्यायालय करता है। तथ्यों को साबित करना अभियोजन पक्ष एवं आरोपी पक्ष के वकीलों का काम होता है एवं तथ्यों के आधार पर न्यायालय कोई निर्णय सुनाता है, न्यायालय कौन से तथ्यों को पक्षकारों से साबित करवाना आवश्यक नहीं समझता है जानिए।

साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा- 56 की परिभाषा:-

वे न्यायिक तथ्य की जिन्हें न्यायालय ध्यान में रखता है उन्हें पक्षकारों को साबित करने की आवश्यकता नहीं होती है एवं उन तथ्यो को साबित करने के लिए पक्षकारों पर बोझ नहीं लादा जाता है।

अर्थात कोई भी न्यायालय देश की विधि की जानकारी रखने के लिए बाध्य होता है जैसे कि भारत के राज्य क्षेत्र में लागू समस्त विधियां, अधिनियम, संविधान, विशेष विधि, स्थानीय विधि, कोई प्रथा से संबंधित संवैधानिक कानून आदि तथ्यों साबित करना न्यायालय का काम होता है न कि किसी पक्षकारों का। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!