न्यायालय शेष आरोपों को कब वापस ले सकता है जानिए- CrPC section 223

जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई आरोप पत्र बनता है तब उस आरोपी व्यक्ति पर कई विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराध का आरोप लगा दिया जाता है जैसे हमने पिछले लेख में आपको बताया था कि अगर कोई व्यक्ति हत्या कर देता है तब उस पर गंभीर उपहति, धमकी देना, हत्या का दुष्प्रेरण आदि संबंधित धाराओं पर आरोप लगाया जाता है अगर आरोपी व्यक्ति यह साबित कर देता है कि किसी के बहकावे (दुष्प्रेरण) में उसने हत्या की है तब वह व्यक्ति दुष्प्रेरण के हत्या का दोषी होगा न कि हत्या का। तब आरोपी या आरोपी व्यक्ति का वकील किस कानून के अंतर्गत अन्य अपराध के आरोप को वापस करवाएगा जानते हैं।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 224 की परिभाषा:-

• जब एक व्यक्ति के विरुद्ध एक से अधिक शीर्ष के अपराध का आरोप लगाया गया है एवं एक अपराध में उसे दोषसिद्धि कर दिया गया है तब परिवादी या आरोपी का वकील न्यायालय की सम्मति से शेष आरोप या आरोपों को वापस ले सकता है, एवं न्यायालय भी ऐसे आरोपों की जाँच या विचारण को रोक सकता है, ऐसे आरोपों से आरोपी को दोषमुक्ति कर देगा।

• लेकिन किसी न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि अपास्त कर दी जाती हैं तब उक्त न्यायालय(जिसने आरोपी को अपराध के आरोपों से दोषमुक्ति दी थी) ऐसे वापस आरोपो की जाँच या विचारण में आगे दोबारा कार्यवाही कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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