शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाते हैं, कोई वैज्ञानिक कारण है या बस परंपरा- GK in Hindi

अपन सभी जानते हैं कि शिवलिंग पर जल अभिषेक की परंपरा है। सभी लोग जो शिवलिंग के दर्शन के लिए जाते हैं, थोड़ा-थोड़ा जल साथ लेकर जाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह जल स्टोर नहीं किया जाता है और ना ही भक्तों में वितरित किया जाता है बल्कि नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। सवाल यह है कि शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है अथवा बस एक अर्थहीन परंपरा जिसका पालन किया जा रहा है। आइए पता लगाते हैं:- 

थोड़ा ध्यान देंगे तो आपको याद आएगा कि लगभग 5000 साल पहले भारत में शिवलिंग की पूजा पद्धतियों की स्थापना की गई थी। भगवान श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी। शिवलिंग पर त्रिपुण्ड लगाकर यह घोषित किया गया था कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों शिवलिंग में समाहित है। शिवलिंग का अभिषेक करने पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पिछले दिनों ज्योतिर्लिंग ओमकारेश्वर में शिवलिंग का क्षरण होने पर जब जल अभिषेक की परंपरा बंद करने की बात आई थी तब भी शंकराचार्य ने कहा था कि पाषाण के क्षरण के कारण अभिषेक की परंपरा को बंद नहीं करना चाहिए। 

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है

गुजरात यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट वीरेंद्र चुनारा बताते हैं कि यदि आप भारत के रेडियो एक्टिविटी मैप का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि न्यूक्लियर रिएक्टर के अलावा भारत में स्थित सभी ज्योतिर्लिंग स्थानों में सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। यही कारण है कि शिवलिंग पर लगातार जल प्रवाहित किया जाता है ताकि प्रकृति के न्यूक्लियर रिएक्टर्स शांत रहें। शिवलिंग पर अर्पित किए जाने वाले  बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले पदार्थ हैं। शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।  Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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