सबसे ज्यादा तलाक किस आधार पर होते हैं, पढ़िए - THE HINDU MARRIAGE ACT, 1955

तलाक (विवाह-विच्छेद) का दूसरा आधार निर्दयता एवं क्रूरता होता है। कठोरता, निष्ठुरता अथवा निर्दय होने का भाव, व्यक्ति के आचरण एवं व्यवहार से संबंध रखता है। इस प्रकार का व्यवहार करने वाले व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का रिश्ता बनाए रखना असंभव हो जाता है। अत: निर्दयता को तलाक एवं वैवाहिक संबंध में न्यायिक पृथक्करण का आधार माना गया है। रसेल बनाम रसेल:- के मामले में न्यायालय द्वारा कहा गया कि निर्दयता एक ऐसा चारित्रिक व्यवहार है जो जीवन एवं शरीर को शारिरिक एवं मानसिक रूप से खतरे में डाल देता है या ऐसे खतरे की आशंका पैदा कर देता है।

हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13, "निर्दयता, की परिभाषा:-

हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार निर्दयता (क्रूरता) के दो प्रकार होते हैं-
1.  शारीरिक निर्दयता: वैवाहिक संबंध में एक पक्षकार का दूसरे पक्षकार के साथ ऐसा शारीरिक हिंसात्मक कार्य जो उसके शरीर या जीवन को क्षति पंहुचाए वह शारीरिक क्रूरता या निर्दयता होती है।
2. मानसिक निर्दयता: जीवनसाथी को मानसिक पीड़ा देना या उस पर स्वयं द्वारा अथवा नातेदार द्वारा गलत लांछन लगाना मानसिक निर्दयता होती है।

कोहली बनाम कोहली, मामले में पंजाब हाई कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि पत्नी पर झूठा जारता (पराए पुरुष से शारीरिक संबंध स्थापित करना) का आरोप लगाना मानसिक निर्दयता होती है।

• पति अथवा पत्नी द्वारा जीवनसाथी पर अनैतिकता के झूठे लांछन लगाना, उस पर ताने कसना, उसके विरुद्ध बिना नाम की शिकायत करना और उसे शारीरिक चोट पहुचाना 'निर्दयता, होता है।

• पत्नी द्वारा पति पर दहेज की मांग का झूठा आरोप लगाना एवं उसके व्यभिचारी होने का कथन करना एक मानसिक निर्दयता हैं।

• पत्नी द्वारा प्रथम दिन ही पति को सहचर्य से वंचित रखना, अपना मेडिकल टेस्ट भी नहीं करने देना, पति को गालियाँ देना, उसके साथ दुर्व्यवहार करना आदि निर्दयता होता है।

अशोक कुमार बनाम विजयलक्ष्मी,  मामले में यह कहा गया कि जहाँ पत्नी पति पर यह झूठा लांछन लगाया कि वह मुझे केरोसिन छिड़ककर मार डालना चाहता है, वहाँ इसे पति के प्रति निर्दयतापूर्ण व्यवहार माना जायेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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