माधवराव सिंधिया नहीं चाहते थे ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराज बनें - THE STORY OF JYOTIRADITYA SCINDIA

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उपदेश अवस्थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने जा रहे हैं। यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण इसलिए है क्योंकि इस बार का मंत्री पद उन्हें परिवारवाद के कारण नहीं बल्कि अपनी योग्यता के कारण मिल रहा है। स्वभाविक है ज्योतिरादित्य सिंधिया और सिंधिया राजपरिवार की कहानियां एक बार फिर सुर्खियों में आएंगी। उनकी लाइफ की सबसे इंपोर्टेंट बात यह है कि उनके पिता माधवराव सिंधिया नहीं चाहते थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया एटीट्यूड में राजवंश नजर आए। वह चाहते थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी आइडेंटिटी खुद बनाएं

ज्योतिरादित्य सिंधिया- आम स्टूडेंट की तरह हुई स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई

कैलाशवासी माधवराव सिंधिया ने बचपन से ही इस बात का ख्याल रखा। इसीलिए उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में नहीं बल्कि दून स्कूल में पढ़ाया। स्कूल के बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में एडमिशन कराया। माधवराव सिंधिया चाहते थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पास आउट होकर अपने करियर की शुरुआत करें लेकिन एडमिशन नहीं मिल पाया। तब उन्होंने अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का एडमिशन कराया। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया- लॉस एंजेलिस से लेकर मुंबई तक कई कंपनियों में काम किया

सन 1991 में हायर एजुकेशन कंप्लीट होने के बाद माधवराव सिंधिया ने उन्हें उंगली पकड़कर अपने पीछे राजनीति में नहीं उतारा बल्कि करियर की शुरुआत संघर्ष के साथ करने के लिए कहा। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लॉस एंजेलिस में INC मैरिल लिंच कंपनी के साथ अपने करियर की शुरुआत की। बहुत कम लोग जानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के ऑफिस में भी काम किया है। सन 1993 में जब वह भारत लौटे तो पिता ने उन्हें चुनाव का टिकट नहीं दिया बल्कि मॉर्गन स्टेनले कंपनी, मुंबई में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने काम किया। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया- राजनीति की शुरुआत 

18 सितंबर सन 2001 को हवाई हादसे में माधवराव सिंधिया के असमय निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर राजनीति में आने के लिए परिवार और कांग्रेस पार्टी की तरफ से दबाव बढ़ गया। सन 2002 में मध्य प्रदेश की गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा। पहले चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को उत्तराधिकार के दायित्व के तहत संभाल लिया है। 

कांग्रेस पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई भी पद मिलता, वह परिवारवाद के कारण ही माना जाता लेकिन भारतीय जनता पार्टी में किसी भी प्रकार के पद की प्राप्ति ज्योतिरादित्य सिंधिया की व्यक्तिगत योग्यता का परिणाम मानी जाएगी।

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