अक्सर देखा जाता है कि कुछ व्यक्ति मनोरंजन के लिए पिकनिक जाते हैं और नदी, तालाब, झरना आदि में नहाने के कि चले जाते हैं मस्ती-मस्ती में वे अपने मित्र को गहरे पानी में ढकेल दे लेकिन उनका उद्देश्य मात्र मस्ती करना था न कि मृत्यु करना अगर मित्र की मृत्यु पानी में डूबने से हो जाए तब यह अपराध हत्या, या सदोष मानव वध का नहीं होगा एक नई धारा के अंतर्गत दर्ज होगा जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304 (क) की परिभाषा:-
किसी व्यक्ति का उद्देश्य मृत्यु करना न होकर कोई उतावलापन या उपेक्षापूर्ण कार्य करे जैसे:-
1. मस्ती में बाइक, कार, बस, ट्रक आदि चलाना।
2. डॉक्टर द्वारा लापरवाही बरतते हुए गलत दवाई दे देना।
3. मस्ती मस्ती में किसी की मृत्यु हो जाना।
उपर्युक्त कृत्य कोई व्यक्ति उतावलेपन या उपेक्षापूर्ण करता है तब वह धारा 304 (क) के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304 क के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की सजा या जुर्माना मात्र या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार वाद- जग्गन खान बनाम मध्यप्रदेश राज्य:- एक होम्योपैथी डॉक्टर ने एक मरीज को चौबीस बूंद स्ट्रेमोनियम और एक धतूरे का पत्ता इसके परिणाम का अध्ययन किये बिना खिला दिया। जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो गई। न्यायालय ने विनिशिचत किया कि जहरीली औषधियां उनके परिणामों का अध्ययन किये बिना मरीजों को देना, अविवेकपूर्ण कृत्य है जो घोर उपेक्षा की कोटि में आता है। इसलिए आरोपी डॉक्टर को धारा 304 क के अंतर्गत दोषी ठहराया गया। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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