VITAMIN-D सूर्य की किरणों में कितने बजे तक रहता है - GK IN HINDI

डॉक्टर भी कहते हैं और बुजुर्ग भी कि सूर्य की किरणों से हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है जो स्वस्थ शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसीलिए सूर्योदय के समय व्यायाम एवं मॉर्निंग वॉक करने की सलाह दी जाती है। सवाल यह है कि सूर्य की किरणों में कितने बजे तक विटामिन डी रहता है। यदि मॉर्निंग वॉक नहीं कर पाए तो क्या दोपहर में या फिर शाम को सूर्यास्त के समय विटामिन डी लिया जा सकता है।

सूर्य की किरणों में विटामिन डी कितने बजे तक रहता है? 

इस प्रश्न का उत्तर जाने से पहले यह समझना बहुत जरूरी है कि कई बार एग्जामिनर सबसे सरल उत्तर के सवाल को बदल कर पूछ लेता है और फिर हमें वह सवाल कठिन लगने लगता है। दरअसल सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता ही नहीं है। सूरज की किरण है जब हमारी त्वचा से टकराती है तब हमारा शरीर विटामिन डी बनाता है। यानी सूर्य की धूप और मनुष्य की त्वचा जब एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तब दोनों की बराबर भागीदारी से विटामिन डी बनता है। इसका सुबह, दोपहर और शाम से कोई रिश्ता नहीं है।

जैसे पौधे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया करते हैं वैसे ही मनुष्य भी करते हैं

विज्ञान वाली मैडम के अनुसार हमारे शरीर में विटामिन डी के निर्माण की प्रक्रिया की तुलना हम पौधों में भोज्य पदार्थ के निर्माण के लिए होने वाली प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से कर सकते हैं। जिस प्रकार हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड और जल द्वारा अपना भोजन बनाते हैं उसी प्रकार हमारे शरीर में उपस्थित वसा की परत सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आकर विटामिन डी का निर्माण करती है।

सूर्य किरण चिकित्सा क्या है, संक्षिप्त जानकारी पढ़िए

बात जब सूरज की किरण की हो रही है तो फिर सूर्य किरण चिकित्सा के बारे में थोड़ा बहुत जान लेना भी अच्छी बात है। इस चिकित्सा पद्धति में 45 से 60 दिन तक सूर्य के प्रकाश से गर्म हुए तेल, पानी, ग्लिसरीन, मिश्री से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है। पानी में नारंगी, हरा व आसमानी रंग डाला जाता है। इस पानी को धूप में गर्म कर रोगों का उपचार होता है। सूर्य किरण चिकित्सा के विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे शरीर में रक्त संचार प्रॉपर होता है। धूप से शरीर में विटामिन डी बनता है जो लकवा, गठिया, टीबी, दमा, चर्म रोग आदि में उपयोगी है।

सूर्य किरण चिकित्सा: किस बीमारी के लिए किस रंग का पानी

नारंगी: जोड़ों का दर्द, कफ, अस्थमा में फायदेमंद।
हरा: चेचक, कब्ज व त्वचा रोग में लाभदायक।
आसमानी: अनिद्रा, मानसिक रोग, मस्तिष्क विकार में उपयोगी।

भारत के मैदानी क्षेत्रों में सूर्य स्नान करने की विधि

सिर पर गीला तौलिया लपेटे व तेल मालिश कर धूप में बैठ जाएं। 20-25 मिनट तक पसीना आने दें। सूर्य स्नान लेते समय शरीर को सूखे तौलिये से रगड़ते रहेें। इसके बाद गीले तौलिये से शरीर पोछ लें। धूप लेते समय गीली चादर भी शरीर पर लपेटी जा सकती है। स्किन रोगी केले के पत्तों की चादर लपेटे। एग्जिमा और फोड़े- फुंस की समस्या में आराम मिलता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 

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