न्यायालय परिसर, पब्लिक प्लेस नहीं होते। न्यायालय परिसर के फैसले न्यायालय प्रशासन द्वारा किए जाते हैं परंतु मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट के प्रशासन पर पॉलीटिकल प्रेशर बनाने के लिए मध्य प्रदेश की कांग्रेस कमेटी ने दिल्ली में जाकर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की और पूरे मामले को जातिवादी बनाने का प्रयास किया। मामला ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ अंबेडकर की मूर्ति स्थापना से संबंधित है जिसे राजनीति में हाशिए पर चल रहे कुछ नेताओं द्वारा मुद्दा बनाया जा रहा है क्योंकि उनके पास मध्य प्रदेश में जातिवाद के लिए अब कोई शेष मुद्दा नहीं रह गया है।
ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति का विवाद क्या है
19 फरवरी 2025 को एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ग्वालियर आए थे। यहां एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने एक ज्ञापन सौंपा था। जिसमें ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की मूर्ति स्थापना की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दी थी। यही से विवाद उपस्थित हो गया। माननीय चीफ जस्टिस महोदय ना तो इस प्रकार की कोई मौखिक सहमति दे सकते हैं और ना ही उनकी मौखिक सहमति के आधार पर किसी भी प्रकार का निर्माण किया जा सकता है। इसके बावजूद हाई कोर्ट पेरिस में प्लेटफॉर्म बनवाया गया और आपस में चंदा करके मूर्ति का आर्डर कर दिया गया। जबकि यदि सरकारी परिसर में कोई निर्माण अथवा स्थापना होनी है तो वह सरकारी बजट से होगी। लोग चंदा करके हाई कोर्ट के अंदर मूर्ति नहीं लगा सकते। इसी बात को लेकर विवाद हो रहा है।
इस पूरे मामले से कांग्रेस का क्या लेने देना
उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर परिसर में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापना से संबंधित विषय पर कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री धर्मवीर सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि, न्यायालयीन परिसर में प्रतिमा स्थापना का विषय "बार एसोसिएशन" एवं माननीय न्यायालय परिसर प्रशासन का है। इस विषय में बाहर के किसी भी व्यक्ति, संस्था अथवा दल का दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि कोई बाहरी व्यक्ति अथवा संस्था अथवा दल किसी भी प्रकार का प्रदर्शन करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय प्रशासन ना तो पक्ष होता है और ना ही विपक्ष होता है लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक क्षेत्राधिकार का उल्लंघन करते हुए लगातार बयान बाजी कर रही है। स्वाभाविक रूप से इसके पीछे वोट बैंक का लालच है परंतु कांग्रेस पार्टी यह भी नहीं समझ पा रही है कि, ग्वालियर हाईकोर्ट में प्रतिमा की पॉलिटिक्स को अनुसूचित जाति के ज्यादातर लोग सपोर्ट नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ग्वालियर में कोई प्रदर्शन नहीं कर रही लेकिन लगातार बयानबाजी करके मामले को पॉलिटिकल बनाने की कोशिश कर रही है।
आज कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की
आज दिल्ली स्थित कांग्रेस के नए मुख्यालय इंदिरा भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार एवं वरिष्ठ विधायक फूल सिंह बरैया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
प्रदेश प्रभारी श्री हरीश चौधरी ने कहा – ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की प्रक्रिया पहले ही अनुमति सहित पूरी हो चुकी थी। बावजूद इसके, यदि भाजपा-आरएसएस के दबाव में यह कार्य रोका गया है तो यह न केवल निंदनीय है बल्कि लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है।
प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा – यदि अंबेडकर जी की मूर्ति की स्थापना में बाधाएं डाली गईं तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक निर्णायक संघर्ष करेगी।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा – अब तक जितने भी सरसंघचालक हुए हैं, उनमे कोई भी दलित या आदिवासी नहीं रहा।
विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा – जो लोग अंबेडकर जी की मूर्ति की स्थापना रोक रहे हैं, उन्हें संविधान से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस पार्टी को क्या करना चाहिए
यदि कांग्रेस पार्टी सच में इस मामले को हल करना चाहती है और पॉलिटिक्स नहीं कर रही है तो कांग्रेस पार्टी को अपने वकीलों की टीम इस काम पर लगाना चाहिए। बयान बाजी करने के स्थान पर हाई कोर्ट प्रशासन एवं बार एसोसिएशन में जाकर बात करनी चाहिए। मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पास विवेक तन्खा जैसे धुरंधर वकील हैं। यदि कहीं कोई भी गड़बड़ हो रही होती तो विवेक तन्खा मोर्चा संभाल चुके होते। विवेक तन्खा की अनुपस्थिति साबित करती है कि, कांग्रेस पार्टी सिर्फ पॉलिटिक्स कर रही है। उनकी निष्ठा डॉक्टर अंबेडकर के प्रति नहीं बल्कि बाबा अंबेडकर के बहाने वोट बैंक के प्रति है।