Shivraj Sir, आपने तो कहा था मप्र के युवाओं को सरकारी नौकरी देंगे, फिर बाहरियों को क्यों बुला रहे हैं - Khula Khat

माननीय मुख्यमंत्री जी
, मैं मध्य प्रदेश के बेरोजगार युवकों की ओर से पिछले कई समय से निरंतर उनके मुद्दे उठाता रहा हूं इसी संदर्भ में आज मेरा आपसे निवेदन है कि मध्यप्रदेश में की जा रही भर्तियों में कई विसंगतियां मेरे द्वारा चिन्हित की गई है और इन्हीं विसंगतियों का परिणाम है की भर्ती प्रक्रिया अटक जाती है या तो छात्रों उसे कोर्ट में चैलेंज करते हैं या उस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं होते। यहां कुछ भर्ती प्रक्रिया के बारे में चर्चा करना चाहता हूं जो इस प्रकार है:- 

हाल ही में मध्य प्रदेश राज्य सहकारी समिति ने 75 पदों पर भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन निकाला था जिसकी आज अंतिम दिनांक लेकिन उसमें मध्य प्रदेश से बाहर और कई राज्यों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं मैं विभाग से यह प्रश्न करना चाहता हूं कि जब मध्य प्रदेश में बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है तो ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी है जिसमें मध्यप्रदेश के बाहर केंद्र बनाए गए हैं एक प्रतिष्ठित न्यूज़ एजेंसी ने ही कहा है कि कॉन्स्टेबल की जो परीक्षा आयोजित की जा रही है उसमें 12 लाख से अधिक आवेदन हो चुके तो आप सोचिए कि मध्य प्रदेश की सरकार का पहला कर्तव्य बनता है कि मध्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया जाए। अतः इस भर्ती विज्ञापन को दोबारा देखा जाए और मध्य प्रदेश से बाहर जो जो परीक्षा केंद्र बनाए गए उनको तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और केवल मध्य प्रदेश के शहरों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाए जिससे इस भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनी रहे। 

इसी संदर्भ में मैं दूसरी भर्ती परीक्षा का विवरण देना चाहता हूं मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने मध्य प्रदेश लोक सवा परीक्षा 2020 के पदों में वृद्धि की है जिसमें वाणिज्य कर विभाग के पदों में वृद्धि की है लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि दो श्रेणी के पदों में 20 और 25 पद होने के बाद भी सामान्य वर्ग को एक भी पद नहीं दिया गया है मुझे समझ नहीं आ रहा कि मध्य प्रदेश का अधिकारी वर्ग किस प्रकार से आरक्षण का निर्धारण कर रहा है जबकि आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में मामला लंबित है इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा वही गलती की जा रही है यह सोचना कठिन सा लग रहा है कि 20 पदों में से एक भी पद ना होना या 25 पदों में से एक भी सामान्य वर्ग में पद ना होना। 

इसके बाद एक अन्य परीक्षा का उदाहरण देते हुए मैं बताना चाहता हूं कि यहां भी मध्य प्रदेश के कुशल श्रेष्ठ अधिकारियों ने आरक्षण को लेकर फिर कुछ गड़बड़ी कर दी है 
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने मेडिकल ऑफिसर के लिए विज्ञापन निकाला है जिसमेंकुल 727 पदों में से सामान्य वर्ग को एक पद भी नहीं दिया क्या मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस तरह की वैकेंसी कौन निकाल रहा है किस आधार पर निकाल रहा है या उनके निकालने के लिए जो आरक्षण रोस्टर दिया गया है वह किस प्रकार का है । यह सब हैरत कर देने वाले विज्ञापन ना केवल हमारी नजरों में आ रहे हैं बल्कि यह वह सब परीक्षा है जिनके लिए लोग कोर्ट जाने को पहले ही तैयार बैठे हैं इससे एकमात्र नुकसान मध्यपदेश के बेरोजगार युवाओं को होना है क्योंकि युवाओं का अंतिम लक्ष्य रोजगार प्राप्त करना है ना की किसी भर्ती प्रक्रिया को कोर्ट में ले जाकर मामला लंबित करने या उस परीक्षा को टालने को लेकर है एक सामान्य सा व्यक्ति भी इस बात को समझ सकता है कि 727 पदों में से सामान्य वर्ग में एक भी पद ना दिया जाना वाकई में नियमों का सरासर उल्लंघन है मैं उम्मीद करता हूं कि इन अधिकारियों को आरक्षण का रोस्टर पता होगा इंदिरा साहनी जैसा चर्चित मामला याद होगा जबकि उस समय जब मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग खुद माननीय उच्च न्यायालय में आरक्षण को लेकर अपना पक्ष रख रहा है। 

मेरा मध्य प्रदेश के युवाओं की ओर से सरकार और विभाग से यह निवेदन है कि कृपया करके जो भी भर्ती विज्ञापन निकाला जाए उसमें इन विसंगतियों को दूर किया जाए और ऐसी नियत स्पष्ट की जाए जिससे कि बेरोजगार युवाओं को यह विश्वास हो सके कि मध्य प्रदेश के रोजगार केवल मध्य प्रदेश के लोगों के लिए है हम बाहर के राज्यों में परीक्षा केंद्र बनाकर अपने रोजगार दूसरे लोगों को ना बाटे क्योंकि कोई और राज्य आपके बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार नहीं देता अतः मैं उम्मीद करता हूं कि इस लेख से शायद यह बात सरकार तक पहुंचे और वह इस पर उचित कार्यवाही करें मध्य प्रदेश के समस्त बेरोजगार युवाओं की ओर से उनकी आवाज।
रानू पाठक

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