दंगा क्या होता है, कब दो गुटों में लड़ाई को दंगा कहा जाता है, READ IPC SECTION 159

हमने आपको बल्वा की परिभाषा बताई थी भारतीय दण्ड संहिता की धारा 146 में आज हम आपको उसी धारा के समान एक नई धारा दंगा की परिभाषा को बताएगे क्योंकि बहुत से कानूनी जानकर भी समझ नहीं पाते कि दंगा का अपराध कब होता है और बल्वा का कब पहले दोनो में सामान्य अंतर को जाने।
दोनो अपराध लोकशांति में बाधा उत्पन्न करने पर लागू होते हैं। 

1.बल्वा सार्वजनिक या निजी स्थान पर पर होता है, जबकि दंगा सिर्फ सार्वजनिक स्थान पर ही होता है।
2.बल्वे में व्यक्तियों की संख्या कम से कम पांच होना आवश्यक है। जबकि दंगा में दो व्यक्ति या दो से अधिक व्यक्ति हो सकते हैं।
3.बल्वे में वे सभी आरोपी दण्डनीय होते हैं जो विधि विरुद्ध जमाव में सम्मिलित होते हैं। लेकिन दंगा में वे ही व्यक्ति अपराधी होते हैं जिसने दंगा उत्पन्न किया हैं।
4.बल्वे के अपराध की सजा कठोर होती है लेकिन दंगा के अपराध में सजा बल्वे की अपेक्षा बहुत कम होती है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 159 की परिभाषा:-

अगर किसी सार्वजनिक स्थान पर दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में झगड़ा कर रहे हैं जिससे लोकशांति भंग हो रही है तब वह व्यक्ति दंगे के अपराध के दोषी होंगे।

मत्त्वपूर्ण नोट:- अगर कोई दो व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर गाली गलौच कर रहे हैं और वहाँ भीड़ इक्कठी हो जाए तब यह दंगा का अपराध नहीं होगा जब तक कि दोनों ने थोड़ा भी बल का प्रयोग नहीं किया हो। झगड़ा के समय आपस में बल का प्रयोग किया जाए तब दंगा का अपराध होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 159 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

अगर कोई दंगा का अपराध करता है तब इस अपराध की सजा का प्रावधान दण्ड संहिता की धारा 160 में दिया गया है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा:- इस अपराध में एक माह की कारावास या दो सौ रुपये जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है।

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