USD की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट, 52 साल का रिकॉर्ड टूटा, पढ़िए Why is USD falling?

पिछले 52 सालों से US डॉलर पूरी शान और सम्मान के साथ लगातार बढ़ता जा रहा था परंतु पिछले 6 महीने में अमेरिकन डॉलर की कीमत में 10% से अधिक की गिरावट दर्ज हुई है। 52 साल का रिकॉर्ड टूट गया। इससे पहले सन 1973 में ऐसा हुआ था। उस समय अमेरिका की अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी उथल-पुथल हुई थी, कि दुनिया भर के अर्थशास्त्र में उसे आज भी पढ़ाया जाता है। 

यूरोप का शेयर बाजार, अमेरिका से आगे निकला

वैश्विक निवेशकों (global investors) का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों (tariffs) और बढ़ते राजकोषीय घाटे (fiscal issues) के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था (U.S. economy) अब अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रही है। यूरोप और अन्य देशों के इक्विटी मार्केट (equities) ने अमेरिकी शेयरों (U.S. stocks) को पीछे छोड़ दिया है, जबकि अमेरिका में उधार देने की रिटर्न दर (return on lending) भी कम होने की उम्मीद है। 

ट्रंप के मंत्रिमंडल ने जैसा सोचा था उसका उल्टा हो

ट्रंप के मंत्रिमंडल के कई सदस्यों का मानना था कि टैरिफ नीति से डॉलर की कीमत विदेशी मुद्राओं (foreign currencies) की तुलना में मजबूत होगी। लेकिन इसके उलट, टैरिफ के कारण अमेरिकी विकास की संभावनाएं (U.S. growth prospects) कमजोर हुई हैं। इससे विदेशी निवेशकों (foreign investors) के लिए अमेरिकी कर्ज (U.S. debt) कम आकर्षक हो गया है, खासकर जर्मनी और जापान जैसे देशों की तुलना में, जहां अब अधिक विकास की उम्मीद है।

कमजोर डॉलर के फायदे और नुकसान

A weaker U.S. dollar theoretically makes U.S.-produced goods more attractive to foreign markets. इससे अमेरिकी सामान विदेशी बाजारों में सस्ते हो सकते हैं, जिससे निर्यात बढ़ सकता है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसा हो रहा है। ट्रंप के टैरिफ लागू होने से पहले, इस साल की पहली तिमाही में अमेरिकी कंपनियों ने नए शुल्कों से बचने के लिए आयात (imports) में भारी वृद्धि की थी। दूसरी तिमाही का डेटा (second-quarter data) आने में अभी समय है, और यह संभवतः केवल अस्थायी प्रभाव (snapback effect) दिखाएगा। 

इसके अलावा, ट्रंप ने U.S. production capacity बढ़ाने के लिए कई नए निवेशों (new investments) की घोषणा की है, लेकिन ये परियोजनाएं शुरू होने में महीनों या साल लग सकते हैं।

अमेरिकियों पर बढ़ता आर्थिक बोझ

कमजोर डॉलर का एक स्पष्ट प्रभाव यह है कि विदेश यात्रा (foreign travel) अब अमेरिकियों के लिए महंगी हो गई है, क्योंकि उनकी मुद्रा की कीमत स्थानीय मुद्राओं (local currencies) की तुलना में कम हो गई है। घरेलू स्तर पर, सबसे बड़ी चिंता महंगाई (inflation) और खरीद शक्ति (purchasing power) में कमी है। अमेरिका अभी भी आयात पर बहुत निर्भर है, और जब तक वह स्वयं अधिक सामान उत्पादन (sustainable production) नहीं करता, आयातित सामान महंगे होते रहेंगे।

विदेशी निवेश में कमी

विश्लेषकों के अनुसार, एक चिंताजनक रुझान यह है कि विदेशी निवेशक (foreign investors) अब पहले की तरह अमेरिकी वित्तीय परिसंपत्तियों (U.S. financial assets) जैसे स्टॉक और बॉन्ड में निवेश नहीं कर रहे हैं। इससे अमेरिका का व्यापार घाटा (trade deficit) वित्तपोषित करने में मुश्किल हो सकती है। Unlimited Funds के मुख्य निवेश अधिकारी बॉब इलियट (Bob Elliott) ने कहा, “A weaker dollar could weigh on foreign investors’ willingness to buy U.S. financial assets, which are critical to supporting U.S. household balance sheets.”

बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America) के विश्लेषकों ह्यूबर्ट लैम और क्रिस्टियाने होल्स्टीन ने जून के अंत में कहा, “Investors are starting to diversify out of the US in both public and private markets.” वे यूरोप जैसे बाजारों में नीतिगत स्थिरता (policy stability) और देशभक्ति (patriotic reasons) के कारण निवेश बढ़ा रहे हैं।

क्या है भविष्य?

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि डॉलर की कमजोरी की आशंका अतिशयोक्तिपूर्ण है। उनका कहना है कि अमेरिका की गतिशील अर्थव्यवस्था (dynamic markets) और प्रो-ग्रोथ नियम (pro-growth regulations) अंततः इसे फिर से मजबूत करेंगे। ट्रंप की टैक्स कट नीतियों (tax cuts) और जून में मजबूत श्रम बाजार डेटा (U.S. labor market data) ने हाल ही में डॉलर की कीमत में थोड़ी रिकवरी दिखाई है। 

लेकिन, अगर अमेरिकी विकास कमजोर होता है, तो फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ब्याज दरों (interest rates) में कटौती शुरू कर सकता है, जिससे अमेरिकी वित्तीय परिसंपत्तियां और कम आकर्षक होंगी। इससे डॉलर की कीमत और गिर सकती है। निवेशक डैनी दयान (Danny Dayan) ने इसे “doom loop” करार दिया और कहा कि टैरिफ और कमजोर डॉलर से कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई और तेज होगी।
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