डॉ नरोत्तम मिश्रा का नाम इतिहास में दर्ज होते होते रह गया, मध्यप्रदेश में स्वदेशी वैक्सीन पर किसी को भरोसा नहीं - MP NEWS

भोपाल
। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भारतीय जनता पार्टी की ओर से तीसरे नंबर पर आने वाले डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा का नाम इतिहास में दर्ज होते होते रह गया। डॉ मिश्रा कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल के लिए वॉलिंटियर बनने गए थे परंतु डॉक्टरों ने उन्हें इसके लिए अयोग्य करार देते हुए वापस लौटा दिया। 

काउंसलिंग के दौरान पता चला, नरोत्तम मिश्रा वैक्सीनेशन के लिए योग्य नहीं

मेडिकल कॉलेज में चल रहे ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. राघवेंद्र गुमास्ता ने बताया कि गृहमंत्री पीपुल्स हॉस्पिटल में वैक्सीन का ट्रायल कराने पहुंचे थे, हमने उनकी काउंसलिंग भी की थी। इस दौरान पाया गया कि उनके घर में कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति पाया गया था इसलिए वॉलिंटियर के रूप में वैक्सीनेशन के लिए वह अयोग्य हो गए हैं। निराश मंत्री महोदय को वापस लौटना पड़ा। जनता के हित में वॉलिंटियर बनकर इतिहास रचने की उनकी तमन्ना अधूरी रह गई।

जनहित के लिए प्राण निछावर करने वाला एक भी नेता सामने नहीं आया

भोपाल में वैक्सीनेशन के फाइनल के लिए 2000 लोगों की जरूरत है। अभी तक मात्र 45 लोगों ने ही कोरोनावायरस का टीका लगाया है। मध्यप्रदेश में जनहित में प्राण निछावर करने की शपथ उठाने वाले नेताओं की कमी नहीं है परंतु जब वैक्सीन के ट्रायल की बात आई तो एक भी नेता सामने नहीं आया। 

मध्यप्रदेश में स्वदेशी वैक्सीन पर किसी को भरोसा नहीं

इस वक्त देश में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का थर्ड फेस का ट्रायल चल रहा है। भोपाल में भी ट्रायल किया जा रहा है, लेकिन यहां पिछले 6 दिन में सबसे कम केवल 45 वॉलंटियर ही को वैक्सीन के ट्रायल के लिए आए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सबसे ज्यादा वॉलंटियर ट्रायल के लिए सामने आए हैं। अलीगढ़ में यह संख्या 800 से भी ज्यादा है। मध्यप्रदेश में स्वदेशी की वकालत करने वाले तो हजारों लोग मौजूद हैं परंतु स्वदेशी वैक्सीन पर भरोसा करने वाला एक भी मर्द दिखाई नहीं दे रहा।

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