पूर्व मंत्री बब्बू ने 100 करोड़ के भ्रष्टाचार वाली याचिका रहस्यमई ढंग से वापस ले ली - MP NEWS

जबलपुर।
पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। याचिका में आबकारी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर सत्यनारायण दुबे पर शराब माफिया से मिलीभगत का दावा करते हुए 100 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। इसी के साथ सभी समाचार माध्यमों में इसकी जानकारी प्रेषित की और आज जब मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा तो याचिका वापस ले ली। उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री बब्बू ने असिस्टेंट कमिश्नर दुबे की शिकायत कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक की थी। जनता जानना चाहती है कि ऐसा क्या हो गया जो याचिका वापस ले ली।

पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने याचिका में क्या आरोप लगाए थे 

पूर्व मंत्री बब्बू की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि सहायक आबकारी आयुक्त, जबलपुर सत्य नारायण दुबे ठीक से कर्तव्य निर्वहन नहीं कर रहे हैं। अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग कर वे अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। उनके अधिवक्ता उमेश त्रिपाठी ने तर्क दिया था कि श्री दुबे अवैध शराब की बिक्री व परिवहन में स्थानीय शराब माफिया की मदद कर रहे हैं। देशी और अंग्रेजी शराब दुकानों में बिना कोई अनुमति, लाइसेंस, लाइसेंस फीस या एक्ससाइज डयूटी लिए बिना अहाते खोलने दिए गए। साल के आरम्भ से ये अहाते चल रहे हैं। जिसके चलते सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हुई। इसी तरह आर्मी केंटीन को श्री दुबे ने जानबूझकर एक माह तक एफएल-6 लाइसेंस नही दिया। इससे राजस्व का नुकसान हुआ। इसके लिए उन्हें शोकॉज नोटिस दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

लॉकडाउन में महंगी बिकी अवैध शराब

लाकडाउन के दौरान जबलपुर जिले की देशी शराब दुकानें लूटी गईं। श्री दुबे के सामने ठेकेदारों ने दुकानों से शराब निकलवाई। लाकडाउन के दौरान मंहगी दरों पर ये शराब बेची गई। सब कुछ जानते हुए भी बेचने वालों पर कोई कार्रवाई न कर सरकार को राजस्व की हानि हुई।

शिकायत पर कुछ नहीं हुआ 

याचिका में कहा गया था कि दुबे के इस अवैधानिक कृत्य और कर्तव्य न निभाने को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से लिया। तत्‍कालीन संभागायुक्त महेश चंद्र चौधरी व पूर्व कलेक्टर भरत यादव तथा छवि भारद्वाज ने भी श्री दुबे को शोकॉज नोटिस दिए। श्री दुबे के इस कृत्य की शिकायत तीन पूर्व मंत्रियों, एक पूर्व व एक वर्तमान विधायक ने मुख्यमंत्री से भी की। श्री दुबे ने अपनी अवैध गतिविधियों के चलते राज्य सरकार को करीब 200 करोड़ रुपये की चपत लगाई, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

याचिका में आग्रह किया गया था कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारी को विधि अनुसार दंडित किया जाए। ऐसा इसलिए ताकि सरकार को हो रहा नुकसान रोका जा सके।

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