रिटायरमेंट के 2 महीने पहले जारी हुए रिलीविंग ऑर्डर पर हाई कोर्ट का स्टे - EMPLOYEE NEWS

जबलपुर
। कर्मचारियों को सेवा के दौरान किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह केस इसका एक उदाहरण है। रिटायरमेंट से 2 साल पहले कर्मचारी ट्रांसफर लेकर अपने घर जाना चाहता था। आवेदन पर उसका का ट्रांसफर किया गया लेकिन उसके घर नहीं बल्कि कहीं और। ट्रांसफर आर्डर जारी होने के बाद अधिकारी ने उसे 15 महीने तक रिलीव नहीं किया। और रिटायरमेंट के ठीक 2 महीने पहले अचानक रिलीव कर दिया ताकि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों को प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को परेशान होना पड़े। हाईकोर्ट ने रिलीविंग आर्डर को प्रथम दृष्टया संदिग्ध मानते हुए उसके पालन पर रोक लगा दी है।

श्री सुधीर सोनी, लिपिक अनुविभागीय अधिकारी ऑफिस (रेवेन्यू) ढीमरखेड़ा, जिला कटनी में रीडर के पद पर कार्यरत हैं। दिनाँक 19/06/19 को उनके द्वारा स्वयं के खर्चे पर ट्रांसफर नीति के अनुसार उनके गृह स्थान कटनी में, इस आधार पर ट्रांसफर हेतु, आवेदन दिया गया था कि उनकी सेवानिवृत्ति का मात्र ड़ेढ वर्ष शेष है। 

ट्रांसफर के 15 महीने बाद कार्यमुक्ति आदेश जारी किया

श्री सोनी का कहना था कि उनका ट्रांसफर, कटनी जिला मुख्यालय के स्थान पर, बहोरीबंद, प्रशासनिक आधार पर, द्वेषपूर्ण भावना से प्रेरित होकर दिनाँक को 05/07/19 कर दिया गया था। अपितु, उनकी कार्यमुक्ति बहोरीबंद के लिए नही की गई थी। वे लगातार ढीमरखेड़ा में कार्यरत थे। दिनाँक 14/10/2020 को उनकी कार्यमुक्ति का आदेश अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व), ढीमरखेड़ा द्वारा, बहोरीबंद के लिए कर दिया गया था। जबकि उनकी सेवानिवृत्त 31/12/2020 को होनी है।

कार्यमुक्ति आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका क्यों लगाई

ट्रांसफर आदेश दिनाँक 05/07/19 के जारी होने के 15 माह बाद, रिलीविंग आदेश दिनांक 14/10/2020  द्वेषपूर्ण होने के कारण, श्री सुधीर सोनी, द्वारा उच्च न्यायालय, जबलपुर की शरण ली गई थी।

ट्रांसफर आर्डर अनंत काल तक वैध नहीं रहता

श्री सोनी के वकील अमित चतुर्वेदी द्वारा, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के समक्ष दी गई दलील के अनुसार, कर्मचारी के आवेदन के विरुद्ध ट्रांसफर किया जाना एवं उसकी कार्यमुक्ति 15 माह बाद पूर्णरूपेण द्वेषपूर्ण है। एक वर्ष पुराने ट्रांसफर आदेश के आधार पर कर्मचारी को कार्यमुक्त नही किया जा सकता है। क्योंकि प्रशासनिक आधार पर किये गए ट्रांसफर आदेश दिनाँक की वैधता समाप्त हो चुकी है। इसके अलावा, कर्मचारी को मात्र सेवानिवृत्त होने हेतु, 60 दिवस से कम का समय रह गया है।

अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी की दलीलों से सहमत होकर, दिनांक 02/11/2020 को, हाई कोर्ट द्वारा, रिलीविंग आर्डर दिनाँक 14/10/2020 को स्टे करते हुए, जिला कलेक्टर, कटनी सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से जबाब तलब किया गया है। इसके अतिरिक्त, श्री सुधीर सोनी को हाई कोर्ट द्वारा, ढीमरखेड़ा में कार्य करने की अनुमति दी गई है।

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