मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, जैसा कि आपको विदित है कि कोरोना महामारी कि रोकथाम के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अप्रैल माह में 3 महीने के लिए आयुष चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, लेब टेक्निशियन और फार्मासिस्ट की अस्थायी भर्ती की थी परंतु अब सात महीने काम लेने के बाद सरकार हमें निकालने की तैयारी कर रही है। पत्र लिखे जाने तक हम लोग मध्यप्रदेश के 179237 कोरोना पीड़ितों की जान बचा चुके थे। सेवा समाप्ति तक यह संख्या 2 लाख से ज्यादा होने की उम्मीद है।
अपनी प्राइवेट नौकरियां और क्लिनिक बंद करके, परिवार से दूर रह कर हम लोग 3 महीने की जगह पिछले 7 महीने से पूर्ण निष्ठा और लगन से काम कर रहे हैं। हम लोग अस्थायी कोविड 19 स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या पूरे मप्र में लगभग 6000 है। जो बहुत ही कम है और इससे कहीं अधिक पद सरकारी हास्पिटल में खाली हैं। फिर भी हमें निकाला जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
हम लोगो ऐसे समय में स्वास्थ्य विभाग में काम किया है जब 80 हजार सेलरी लेने वाले स्थाई डाक्टर और अन्य कर्मचारी काम छोड़ कर जा रहे थे। आज भी हम लोग फ्रंट लाइन में कोरोना मरीजों की सेवा कर रहे हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक हर जगह हम लोग सेवा दे रहे हैं। प्राथमीक स्वास्थ्य केंद्र पर सेम्पलिंग सेंटर, फीवर क्लिनिक, कोविड केयर सेंटर, डिस्टिक कोविड सेंटर, और इंदौर भोपाल स्थित कोविड हास्पिटल सभी जगह पर हम लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर पूर्ण निष्ठा से विकराल महामारी के दौर में कोरोना पाजिटिव मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
हममे से कई लोग इसके कारण पाजिटिव भी हो गए। फिर भी हम लोग देश और समाज की सेवा मे लगे रहे, परंतु अब सरकार हम लोगों को निकाल रही है। जिससे हम स्वास्थ्य कर्मचारियों के आगे बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है।
जब दो महीने सिंहस्थ मे काम करने वाले होम गार्ड जवानों को सरकार स्थाई नौकरी दे सकती है तो हम आयुष डाक्टर, नर्स, लेब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट महामारी के समय सरकार और समाज की सहायता एवं सेवा कर रहे हैं तो क्या हमें स्थाई होने का हक नही है। अब हम कोरोना योद्धाओं का भविष्य अंधकार मय होने जा रहा हैं।
भवदीय | दुखी हृदय से एक पीड़ित कोरोना योद्धा