शक्ति रावत। दुनिया में दो तरह के लोग हैं, पहले जिनके पास बहुत समय है, और दूसरे जिनके पास बिल्कुल भी समय नहीं रहता। ज्यादातर लोग इन्हीं दो कैटेगिरी में बंटे हुए हैं। लेकिन मैं यहां बात कर रहा हूं, तीसरे तरह के लोगों की जिनके पास जितना काम होता है, उतना वक्त भी होता है। इन्हीं को हम आम बोलचाल की भाषा में सफल कहते हैं।
यह बात सही है, कि दुनिया में कोई एक दिन में सफल नहीं होता और ना ही रातोंरात, लेकिन छोटी कोशिशें ही बड़े बदलाव लातीं हैं। इसलिये आज बात एक छोटी सी सफल आदत, डे प्लान की। 24 घंटे के एक दिन में 1440 मिनिट होते हैं। जिनमें 480 मिनिट नींद में चले जाते हैं। बाकी बचे समय में आप अपने दिनभर के कामों की जो योजना बनाते हैं, उसे ही डे-प्लान कहा जाता है।
ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते और जो काम सामने आ जाता है, या जो भी याद आ जाता है, उसे ही करने लगते हैं, इससे एक तो समय का सही इस्तेमाल नहीं होता, दूसरे आपके काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, तीसरा नुकसान यह होता है, कि आपके पास सभी कामों के लिए पर्याप्त वक्त नहीं होता, तो कुछ काम छूट जाते हैं, कई बार यह भी अफसोस होता है, कि काश पहले यह काम कर लिया होता। इन्हीं उलझनों का हल है, डे-प्लान। यानि आपके दिनभर की योजना। आजमाकर देखिये फर्क महसूस होगा।
1-हर दिन के लिए वर्क लिस्ट
डे-प्लान का सीधा सा मतलब है, कि आपको पता है, कि आपको आज के दिन क्या-क्या काम करने हैं, क्या ज्यादा जरूरी है, और क्या गैरजरूरी। सवाल यह है, कि इसकी शुरूआत कैसे हो। सीधा सा उपाय है, हर दिन सोने से पहले या सुबह जल्दी उठकर दिनभर के कामों की लिस्ट तैयार करें। प्राथमिकता वाले कामों को सबसे ऊपर रखें। कोई काम बड़ा है, तो हर दिन के हिसाब से छोटे हिस्सों में बांट लें। कोशिश करें, कि आपके दिन की शुरूआत सुबह जल्दी हो, ताकि पर्याप्त वक्त रहे। यह वर्क लिस्ट हर दिन नियम से बनायें। इससे आपको यह भी पता चलेगा कि आपने एक दिन या सप्ताह में कितना काम निपटा लिया है।
2-सबसे पहले मुश्किल काम
इंसान के पास कामों की कमी नहीं होती,घर के, बाहर के, ऑफिस के तमाम काम होते हैं, इसलिये शुरूआत में थोड़ी परेशानी होगी। लेकिन चिंता ना लें, कोशिश करते रहें, धीरे-धीरे आप सिस्टम बनाना सीख जाएंगे। सूची में सबसे पहले कठिन कामों को रखें। क्योंकि ये काम आपका दिमाग उलझाते हैं। अगर आप पहले कठिन काम निपटा लेंगे, तो दिमाग पर बोझ भी कम होगा और बाकी के काम दिनभर में आसानी से हो जांएगे।
3-रोज दें खुद को नंबर
हो सकता है, शुरू में यह काम आपको बोरिंग लगे, क्योंकि बिना सिस्टम वाली पुरानी आदत आसानी से नहीं छूटती, तो इसका रोचक रास्ता यह है, कि हर दिन की वर्क लिस्ट के काम निपटाने के लिए खुद को नंबर दें। उदाहरण के लिए आपने पूरे डे-प्लान के लिए 10 नंबर खुद को देना तय किये हैं। अब रात को दिनभर का काम निपटाने के बाद खुद तय करें, कि आज आपके कामों के हिसाब से आपको 10 में से कितने नंबर मिलने चाहिये। हो सकता है, शुरू में स्कोर अच्छा ना हो,तो निराश ना हो और अच्छी कोशिश करें। और हां खुद को नंबर देने में भी ईमानदार रहें। जिस दिन आप खुद को दस में दस नंबर देने की स्थिति में आ जाएंगे, उस दिन अपने जीवन में बदलाव और गति को आप खुद महसूस कर सकेंगे।
4-बड़ी योजना के लिए अलग प्लान
रोजमर्रा की भागदौड़ के बीच भविष्य की योजनाओं पर काम करना भी जरूरी है, लिहाजा अपने डे प्लान में अपनी बड़ी और भविष्य की योजनाओं को भी शामिल करना नहीं भूलें। ये ऐसे काम हैं, जो एक दिन में नहीं होते लंबा वक्त लगता है, इसलिये हर दिन के डे-प्लान में आपकी भविष्य की योजनाओं से जुड़े छोटे कदम भी शामिल होने चाहिये। हालांकि बड़ी योजनाओं के लिए भी डे-प्लान की तरह ही योजना बनायें। मसलन बड़ी योजना के लिए भी डेडलाइन तय करें। कि आपकी कौन सी योजना तीन, पांच या दस साल में पूरी होनी है। इसके लिए हर दिन थोड़ा-थोड़ा काम करते जाएं। -लेखक मोटीवेशनल स्पीकर और लाइफ मैनेजमेंट कोच हैं।