जबलपुर, 16 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में आज सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण वाले मामले की तारीख थी। सरकार की ओर से दलील प्रस्तुत की जानी थी परंतु महाधिवक्ता ने शीतकालीन अवकाश के बाद सरकार का पक्ष प्रस्तुत करने का निवेदन किया। हाई कोर्ट ने सरकार को छुट्टी देने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण के नियमों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई आज फिर टल गई। आज मामला दोपहर 12:30 बजे से निर्धारित था, लेकिन कोर्ट की कार्यवाही देर से शुरू हुई और सुनवाई 2:30 बजे के बाद हुई। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने शीतकालीन अवकाश के बाद सुनवाई करने का अनुरोध किया, लेकिन चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि याचिकाकर्ताओं की बहस तो पूरी हो चुकी है, अब सरकार की बारी है अपनी दलीलें पेश करने की।
महाधिवक्ता ने असमर्थता जताई तो राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन ने आगे आकर कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इस गंभीर मामले में बहस संभव नहीं, फिजिकल कोर्ट में आना पड़ेगा। कोर्ट ने पूछा कि कितना समय लगेगा, तो उन्होंने एक घंटे की सहमति दी। आखिरकार हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 18 दिसंबर 2025 को दोपहर 12 बजे से निर्धारित कर दी।
यह मामला मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2025 की संवैधानिकता से जुड़ा है, जिसे सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने चुनौती दी है। लाखों सरकारी कर्मचारी पिछले कई सालों से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, और यह केस उनके करियर से सीधे जुड़ा हुआ है। कोर्ट का रुख देखकर लगता है कि जल्दबाजी में फैसला नहीं होगा, सबकी दलीलें सुनकर ही आगे बढ़ेंगे।
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