यदि कोई नापतोल के लिए खोटे उपकरण यूज़ करे तो क्या है FIR करा सकते हैं, यहां पढ़िए / ABOUT IPC

नापतोल की समस्याओं से तो भारत का हर नागरिक परेशान है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी परेशानी होने के बावजूद इससे संबंधित कानूनों की जानकारी लोगों को नहीं है। यदि कोई नापतोल में गड़बड़ी करता है तो उसकी शिकायत करने के लिए लोग कलेक्टर/ डिस्टिक मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंच जाते हैं। भारत में नापतोल विभाग की हालत सब जानते हैं। इसलिए शिकायत ही नहीं करते लेकिन यदि हम आपसे कहे कि आप इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस थाने में कर सकते हैं तो क्या आप नापतोल में गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 153 के अनुसार थाने का प्राधिकृत पुलिस अधिकारी को यह सूचना मिलने पर की किसी स्थान या दुकान में गलत बांट या माप का उपयोग किया जा रहा है, वह बिना वारंट के उस स्थान पर पहुचकर ऐसे खोटे बांटों या मापों को जब्त कर सकता है लेकिन जब्ती के बाद उसे इसकी सूचना संबंधित अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को तुरंत देनी होगी। 

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 264 की परिभाषा:-

कोई व्यक्ति कपटपूर्वक भावना रखते हुए वजन वाले खोटे बांट या लंम्बाई मापने के लिए खोटे उपकरण जैसे तराजू, गज (मीटर) आदि। का उपयोग धोखा देने के उद्देश्य से करता है। वह व्यक्ति धारा 264 के अंतर्गत दोषी होगा। 
नोट:- यहाँ खोटे बांट या माप का तात्पर्य ऐसे बांट या माप से है जो वास्तविक वजन या माप की स्थिति में नहीं हो।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 264 के अंर्तगत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। 
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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