फौरन जरूरी है चीनी मनसूबो को कुचलना / EDITORIAL by Rakesh Dubey

चीन ने नेपाल, बंगलादेश और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ करने का जो अभियान प्रछन्न रूप से चला रखा है। अब उसकी परतें उतरना शुरू हो गई है। यह समय फौरन कार्यवाही का है सबसे पहले भारत से सबसे ज्यादा उपकृत नेपाल | आप माने या न मानें, नेपाल अब पूरी तरह चीन की कठपुतली बनने की राह पर चलता दिख रहा है। एक तरफ नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार चीन के इशारे पर नाच रही है तो अब उनकी पार्टी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से 'ट्यूशन' ले रही है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को वर्चुअल वर्कशॉप के जरिए बताया है कि उन्हें किस तरह पार्टी और सरकार चलानी चाहिए।

नेपाल के प्रमुख अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक इस वर्कशाप का आयोजन नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के स्कूल डिपार्टमेंट की ओर से किया गया, जिसमें उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरियाल और पुष्प कमल दहल प्रचंड जैसे नेता मौजूद रहे। हालांकि, केपी शर्मा ओली इस बैठक में नहीं शामिल थे।

नेपाली कांग्रेस के नेता और पूर्व राज्य मंत्री उदय शमशेर राणा की माने तो “यह दो देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों का मामला है जो सरकारों के बीच होता है।“इसके विपरीत नेपाल और चीन के मामले में दोनों देशों की कम्युनिस्ट पार्टियां सरकारों को अपने मुताबिक चलाना चाहती हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह के चीन के रिश्ते क्यूबा या नॉर्थ कोरिया के साथ हैं। राजनीति को किसी भी सरकार की पॉलिसी को साथ मिला देना अभूतपूर्व और खतरनाक है। 

नेपाल विपक्षी दल इस बैठक पर टाइमिंग को लेकर तो सवाल उठा रहे हैं। बल्कि यहाँ तक भी कह रहे हैं कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी चाइनीज स्टाइल में सरकार चलाना चाहती है, जोकि नेपाल के लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

नेपाल कांग्रेस पार्टी के चीफ व्हिप बालकृष्ण खंड का कहना है सत्ताधारी पार्टी नेपाल में चाइनीज स्टाइल सरकार चलाना चाहती है। उन्होंने कहा, ''चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से नेपाल में चीन की तरह सरकार चलाने का प्रयास संविधान के खिलाफ है।'' पिछले साल जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग नेपाल के दौरे पर आए थे उससे कुछ सप्ताह पहले भी दोनों देश की कम्युनिस्ट पार्टियों में इस तरह की बैठक हुई थी। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के कमल थापा ने भी इस बैठक का विरोध किया है।

अब बांग्लादेश |नेपाल के बाद चीन अब बांग्लादेश पर आर्थिक रूप से मेहरबानी दिखा रहा है, जिससे उसे भी अपनी ओर मिला सके और भारत की घेराबंदी करने में कामयाबी मिले। इसी के मद्देनजर चीन ने बांग्लादेश के लिए 5161 उत्पादों पर 97 प्रतिशत तक टैरिफ को खत्म करने का ऐलान किया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है। गौरतलब है कि दुनिया के दूसरे मुल्कों की तरह बांग्लादेश भी कोरोना वायरस की चपेट में है और इसी वजह से उसे कई आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। इसी से निपटने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मई माह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की थी। शेख हसीना और जिनपिंग की वार्ता के बाद चीन को इस बाबत पत्र लिखा गया था कि वे निर्यात किए जाए उत्पादों पर टैक्स में छूट दें।चीन के टैरिफ छूट की घोषणा पर बांग्लादेश ने खुशी जाहिर की है। बांगला देश सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, "चीन वित्त मंत्रालय की तरफ से १६ जून को एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश के 5161 उत्पादों को 97% टैरिफ फ्री कर दिया गया है।"

यह भी साफ़ होता जा रहा है कि नेपाल के साथ चल रहे सीमा विवाद के पीछे भी चीन का हाथ है। नेपाल ने जिस वक्त पर विवाद खड़ा किया उसकी टाइमिंग भी सवाल खड़ा करती है। नक्शा संशोधन के पहले भारत से बातचीत का प्रस्ताव नेपाल द्वारा गंभीरता से न लेना भी दिखाता है कि नेपाली नेतृत्व इस समय टकराव के तेवर में है। नेपाल और भारत के बीच क़रीब 1880 किलोमीटर सीमा खुली हुई है। दोनों देशों में 98 प्रतिशत सीमा को कवर करने वाले नक़्शे पर सहमति है, लेकिन पश्चिमी नेपाल में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा वो क्षेत्र हैं जिन पर तनाव जारी है।भारत के विरोध के बावजूद नेपाल ने अपना जो नया नक्शा पास किया है उसमे भारत के जिले शामिल हैं

आखिर में पाकिस्तान पाकिस्तान के साथ चीन की दोस्ती पहले से ही जगजाहिर है। ऐसे में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक पूर्वी लद्दाख में चीन की भारत के साथ पैंतरेबाजी का वह पूरी तरह से फायदा उटाने की कोशिश में है। यही कारण है कि आए दिन नियंत्रण रेखा (एलओसी) से आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि सेना की मुस्तैदी के आगे उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो रहे। देश की सार्वभौमिकता के लिए इन खतरों पर फौरन विचार जरूरी हैं
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !