शिवराज सिंह की चार पारियां: दो बार जुगाड़ से दो बार चुनाव से | SHIVRAJ SINGH REVIEW

भोपाल। भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली है। इसी के साथ एक रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो गया। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड लेकिन एक और रिकॉर्ड भी है जो उनके नाम दर्ज होता है। उनकी चार पारियों में दो बार चुनाव से लेकिन दो बार जुगाड़ से मुख्यमंत्री बने हैं। (जुगाड़ से तात्पर्य जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर नहीं भेजा।)

शिवराज सिंह: पहली शपथ के समय सांसद थे

2005 में जब शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी तब वह विधायक नहीं थे बल्कि विदिशा लोकसभा सीट से सांसद थे। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। केंद्रीय नेतृत्व को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर को हटाना था। उनका रिप्लेसमेंट कौन होगा इसकी तलाश लगातार की जा रही थी। शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इसकी जानकारी थी। लालकृष्ण आडवाणी से अपनी नजदीकी का उन्होंने पूरा फायदा उठाया और विधायक दल का सदस्य नहीं होते हुए भी उन्हें मुख्यमंत्री घोषित किया गया। 

दूसरी और तीसरी पारी शिवराज सिंह की लोकप्रियता का प्रताप थी

भले ही शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री की कुर्सी जुगाड़ से मिली हो लेकिन जब वह कुर्सी पर बैठे तो जुगाड़ के नहीं बल्कि कमाल के नेता नजर आए। कन्यादान योजना से उन्होंने जन कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में उनकी कल्याणकारी योजना और सरल व्यक्तित्व के कारण भारतीय जनता पार्टी को वोट मिले। यह अकाट्य सत्य है मध्यप्रदेश में 2 विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नाम पर लड़े गए और जीते गए। इन दोनों चुनावों में शिवराज सिंह का कद भारतीय जनता पार्टी से कहीं बड़ा था। उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। 

शिवराज सिंह: चौथी शपथ के समय नेता प्रतिपक्ष भी नहीं थे 

यदि कोई सरकार अल्पमत में आती है और विपक्ष को सरकार बनाने का मौका मिलता है तो सामान्यतः नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री पद का दावेदार होता है लेकिन मध्यप्रदेश के मामले में ऐसा नहीं हुआ। जिस तरह यह अकाट्य सत्य है कि 2008 और 2013 का चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नाम पर जीता गया उसी तरह यह कड़वा सच है कि 2018 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नाम के कारण भारतीय जनता पार्टी हार गई। पार्टी के भीतर शिवराज सिंह का विरोध इतना अधिक था कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष तक नहीं बनाया गया। वह महज एक विधायक थे लेकिन शिवराज सिंह चौहान शुरू से ही जुगाड़ की राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे हैं। कमलनाथ की शपथ लेने से लेकर खुद के शपथ लेने तक शिवराज सिंह चौहान सिर्फ एक कोशिश लगातार करते रहे और वह थी खुद को मध्य प्रदेश में भाजपा का सर्वोच्च एवं एकमात्र नेता बनाए रखना। जनता ने जिस शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ वोट दिया था आज वही शिवराज सिंह मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री है।

24 मार्च को सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें

हवाई जहाज कितना माइलेज देता है, प्रति व्यक्ति ईंधन का खर्चा कितना होता है 
यदि चलती ट्रेन में ड्राइवर बेहोश हो जाए तो क्या होगा, पढ़िए 
पूरे भारत में 21 दिनों के लिए लॉक-डाउन, जो जहां है वही रहे: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
विदेश से लोटा युवक घर की बजाय होटल पहुंचा, स्वास्थ्य विभाग ने आइसोलेशन में रखा
जींस में छोटी जेब क्यों होती है, कोई बड़ा कारण है या बस डिजाइन
गृह मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन, 15 अप्रैल तक थोड़ी राहत 
थप्पड़ वाली कलेक्टर सहित 4 IAS अधिकारियों को हटाया 
चिंता ना करें, दैनिक उपयोग की चीजें सरकार पहुंचाएगी: शिवराज सिंह चौहान 
MP VIMARSH PORTAL 9th-11th EXAM RESULT DIRECT LINK यहां देखें
मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव बदले, श्री एम. गोपाल रेड्डी मात्र 9 दिन के मुख्य सचिव

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!