‘सोना’ कितना ‘सोना’ है | EDITORIAL by Rakesh Dubey

कोई माने या न माने सोने [स्वर्ण] को लेकर एक बात बिल्कुल पक्की है, यह अनिश्चितता के दौर में सबसे महत्वपूर्ण निवेश   है और इसकी अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता है। अनिश्चितता, तनाव, युद्ध की स्थितियों में सोने के भाव इसीलिए ऊपर जाते हैं कि तमाम निवेशक सोने की तरफ दौड़ते हैं। सदियों से इसके प्रति इस कदर आकर्षण है कि लोग इसमें रकम लगाते हैं और लगाते जाते हैं। कारण इसका ग्लोबल आकर्षण है। तमाम केंद्रीय बैंक सोने को खरीदकर अपने भंडार में रखते हैं, जिस केंद्रीय बैंक के पास सोने के जितने ज्यादा भंडार होंगे, उसकी स्थिति उतनी ही मजबूत मानी जायेगी। इस समय खासतौर पर संकट, अनिश्चितता, तनाव के चलते तो सोने के भाव आसमान छू रहे हैं।

सोने के भाव करीब 44000 रुपये प्रति दस ग्राम तक जा पहुंचे हैं। बीते एक साल में सोने के भावों में करीब २७  प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इसे बहुत जबरदस्त बढ़ोतरी माना जा सकता है। इस फरवरी के अंतिम दिनों  के आंकड़ों के हिसाब से मुंबई शेयर बाजार का शेयर सूचकांक सेंसेक्स एक साल में करीब ११  प्रतिशत ही ऊपर जा पाया है। यूं ११ प्रतिशत रिटर्न एक साल में कम नहीं है, पर सोने के रिटर्न तो एक साल में करीब २७  प्रतिशत रहे हैं। यह रिटर्न देखकर कई निवेशकों के मन में यह विचार उठने लगता है कि सारी रकम सिर्फ और सिर्फ सोने में लगा देनी चाहिए। सोने में निवेश को लेकर कुछ बातों को समझना जरूरी है।

ध्यान रखिये सोने की कीमतें तब आसमान की ओर बढ़ती हैं, जब अनिश्चितता का माहौल होता है। विश्व में इस समय एक भीषण अनिश्चितता का माहौल है, कोरोना वायरस की वजह से। कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू तो चीन से हुआ है, पर अब इसकी चपेट में पूरी दुनिया आ रही है। इन कारणों से, भारतीय उद्योग जगत भी इसकी चपेट में है। भारत के कई उद्योगों का ताल्लुक चीन से है। दवा उद्योग, मोबाइल हैंडसेट उद्योग, आटोमोबाइल उद्योग। उन उद्योगों से जुड़े कच्चे माल की सप्लाई चीन से होती है। चीन में कोरोना वायरस की वजह से तबाही फैली हुई है। माल आ नहीं आ पा रहा है तो भारतीय उद्योग जगत भी संकट में है। मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव में भी इस संकट के खौफ को देखा जा सकता है।चलन है कि अनिश्चितता और खौफ के चलते तमाम निवेशक शेयर आदि से अपनी रकम निकालकर सोने में डालना शुरू करते हैं।

प्रश्न यह है कि ऐसी सूरत में भी निवेशकों को अपनी सारी रकम सोने में नहीं लगानी चाहिए? अपने निवेश योग्य संसाधनों का एक हिस्सा ही सोने में जाना चाहिए। और अब तो सोने में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं यानी सोने में निवेश का मतलब अब यह नहीं कि सोना खरीदकर भौतिक सोना घर में रखा जाये। अब तो सोने के शेयर यानी सोने को शेयर के तौर पर खरीदने के विकल्प मौजूद हैं, इस शेयर के भाव सोने के भावों की तर्ज पर ऊपर-नीचे होते रहते हैं। भौतिक सोने में तो कई तरह के संकट होते हैं। भौतिक सोना लुट सकता है। पर सोने के शेयर के साथ यह दिक्कत नहीं है। वह तो इलेक्ट्रानिक तौर पर मौजूद होता है, जब आपको पैसे चाहिए, सोने के शेयर को बेचकर आप पैसे खड़े कर सकते हैं।

कुल मिलाकर सोने को लेकर एक संतुलित रुख अपनाना जरूरी है। इसमें ही सारी रकम लगा देना ठीक नहीं है और सोने को बिल्कुल उपेक्षित करके छोड़ना भी ठीक नहीं है। निवेशकों को अपने निवेश योग्य संसाधनों का एक हिस्सा सोने में या सोने से जुड़े निवेश माध्यमों में जरूर लगाना चाहिए। दीर्घकाल में सोने के रिटर्न बहुत आकर्षक भले ही ना हों, पर यह सुरक्षित निवेश का माध्यम है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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