भोपाल। केंद्र सरकार के बजट में पहली बार एतिहासिक निर्णय लिया गया जिसे टेक्स पे में विकल्प देकर चमत्कारी एवं चतुराई से कर्मचारियों का जेब टटोला गया है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा कि केंद्रीय बजट में टेक्स पे में विकल्प देकर कर्मचारियों से मिलने वाले टेक्स में बढ़ोतरी का ही रास्ता खोजा गया है।
यह कर्मचारियों की दृष्टि से लाभदायक हो ही नहीं सकता है। दिखावटी तौर पर टेक्स रेट कम करते हुए वर्ष दर वर्ष विभिन्न धाराओं में मिलने वाली छूट जिसमें हाउस रेंट, 50 हजार रूपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन, वृत्ति कर, गृह ॠण ब्याज, डेढ़ लाख तक निवेश सहित "धारा-80 सी/सीसीसी/ सीसीडी/ डी/ डीडी/ डीडीबी/ ई/ ईई/ ईईए/ ईईबी/ जी/ जीजी/ जीजीए/ जीजीसी/आइए/ आईएबी/ आईएसी/ आईएबी/ आईएसी/ आईबी/ आईबीए" आदि को एक झटके में समाप्त कर कर्मचारियों के जेब को जादुई तरीके से टटोला गया है।
यह विकल्प नहीं कर्मचारियों से अधिक वसूली का मार्ग हैं जिससे बचने के सारे रास्ते बंद कर दिये गये है। छुरा ऊपर रहे या नीचे कटेगा तो खरबूजा ही। राष्ट्रीय दृष्टिकोण से कर्मचारी तो गर्व ही कर सकता है कि ये फ्लाई ओवर, एयरपोर्ट, मेट्रो चमचमाती सड़कें हमारी टेक्स राशि से बने हैं।