BANK OF BARODA संकट में, हाईकोर्ट ने RBI तो दिया कार्रवाई का आदेश | BUSINESS NEWS

नई दिल्ली। बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहकों के लिए बुरी खबर है। कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (reserve Bank of India) को निर्देशित किया है कि वह बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ कार्रवाई करें और जरूरी हो तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दे। बैंक ऑफ बड़ौदा का प्रबंधन सेवा में कमी का दोषी पाया गया है। kolkata High Court ने बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड (IOCL) के बीच सिंप्लेक्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को जारी बैंक गारंटी (bank guarantee) के एक मामले की सुनवाई के बाद फैसला दिया। 

'जरूरी हो तो लाइसेंस रद्द करने पर करें विचार' 

कलकत्ता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा, 'अपीलकर्ताओं के आचरण को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक को यह विचार करना चाहिए कि बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ क्या उचित कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही अगर जरूरी हो तो बैंक ऑफ बड़ौदा का लाइसेंस रद्द करने या बैंकिंग व्यवसाय का अधिकार वापस लेने पर भी विचार करे।' 

बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड के बीच विवाद क्या है

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड ने 2017 में सिंप्लेक्स प्रोजेक्ट्स के साथ आईओसीएल के बोंगईगांव में काम करने के लिए एक समझौता किया। इसके लिए सिंप्लेक्स को सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर एक बैंक गारंटी देनी थी। सिंप्लेक्स की तरफ से कर्जदाता ने 6.97 करोड़ रुपए की एक बिना शर्त बैंक गारंटी दी। आदेश के मुताबिक, जब सिंप्लेक्स की तरफ से कोई काम आगे नहीं बढ़ाया गया, तो आईओसीएल ने कई नोटिस जारी किए और आखिर में बैंक गारंटी को लागू करने का कदम उठाया। 

'आईओसीएल की ओर से यह बात रखी गई है कि बिना शर्त बैंक गारंटी लागू होने के बाद बैंक के पास तत्काल भुगतान को रोकने का कोई अधिकार नहीं होता, इसके बावजूद इस मामले में बैंक ने कुछ समय मांगा।' आईओसीएल ने यह भी दावा किया कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने सिंप्लेक्स को बैंक गारंटी लागू होने के बारे में सूचित किया होगा, जिसके बाद कंपनी ने तुरंत दिल्ली हाईकोर्ट में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत कार्यवाही शुरू की। 

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 'आईओसीएल ने यह बात रखी है कि कार्यवाही में सिंप्लेक्स हाईकोर्ट से कोई भी आदेश पाने में नाकाम रहा और दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बैंक गारंटी बिना शर्त के थी और गारंटी के लागू होने के बाद भुगतान को टाला नहीं जा सकता, फिर भी एक अपील को प्राथमिकता दी गई, जिसे 1 जून 2018 को वापस ले लिया गया। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बिना शर्त बैंक गारंटी के बावजूद यह कहकर भुगतान जारी करने से इनकार कर दिया कि 'हो सकता है, सिंप्लेक्स द्वारा बैंक को पैसा ना दिया जाए'।' 

इसके बाद आईओसीएल ने बिना शर्त बैंक गारंटी के नियमों के तहत बैंक ऑफ बड़ौदा को भुगतान जारी करने का आदेश देने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, '24 जून, 2019 को जब पहले ही एक अन्य आदेश के माध्यम से अदालत ने बैंक को तुरंत भुगतान करने का निर्देश दिया था, तो अब बैंक ऑफ बड़ौदा के आचरण को देखने के लिए नियामक की आवश्यकता नहीं है। इसलिए आईओसीएल की वर्तमान अपील एक क्रॉस आपत्ति के तौर पर दायर की गई थी, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ कदम उठाने के लिए निर्देश मांग रही थी।'

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