राहुल गांधी के वचन की प्रतिष्ठा की रक्षा मुख्यमंत्री कमलनाथ की ज़िम्मेदारी: अतिथिविद्वान | MP NEWS

भोपाल। भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में जारी प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अतिथिविद्वानों के धरना एवं आंदोलन लगातार 29वें दिन भी जारी रहा। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार हमारा शांतिपूर्ण आंदोलन एक माह पूर्ण करने वाला है। इस बीच हमने कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए रात गुज़ारी है। महिलाए अपने बच्चों के साथ इस भीषण ठंड में भी आंदोलन में डटी हुई है। नियमितीकरण एवं अपने भविष्य की चिंता में अतिथिविद्वान लगातार एक माह से भोपाल में आंदोलनरत है। जबकि सरकार की इस विषय पर उदासीनता बेहद चिंताजनक एवं हतोत्साहित करने वाली है 

राहुल गांधी के वचन की प्रतिष्ठा बचाना मुख्यमंत्री कमलनाथ की ज़िम्मेदारी

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व मध्यप्रदेश प्रवास पर पधारे कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदौर में अतिथिविद्वानो को संबोधित करते हुए कहा था कि अतिथिविद्वान व्यवस्था शोषण और अपमान का प्रतीक है। यदि मध्यप्रदेश में हमारी सरकार आई तो हम इस व्यवस्था को समाप्त करके सभी अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण करेंगे। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि राहुल गांधी का यही वचन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी के वचनपत्र की कंडिका 17.22 में शामिल किया गया एवं इस वचन को पूरा करने की ज़िम्मेदारी तत्कालीन पीसीसी चीफ व वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ली थी। अब राहुल गांधी के वचन की प्रतिष्ठा बचाने की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री जी की है। क्योंकि अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण के साथ अब राहुल गांधी जी के वचन की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। अब जबकी सरकार गठन हुए एक साल से अधिक का समय बीत चुका है व अतिथिविद्वान अपने नियमितीकरण के लिए लगातार सरकार का ध्यान आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन के माध्यम से आकर्षित कर रहे है। हम पुनः मुख्यमंत्रीजी से प्रार्थना करते हैं कि वे वचनपत्र अनुसार अविलंब अतिथिविद्वानों के लिए नियमितीकरण की नीति बनाएं।

अतिथिविद्वानो का आंदोलन लगातार 29 वें दिन जारी

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार शाहजहानी पार्क में जारी हमारा आंदोलन लगातार 29 वें दिन भी जारी है। यह हमारा अंतिम संघर्ष है। हमारी सरकार से केवल एक मांग है, और वो है वचनपत्र अनुसार अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण। इससे कम कुछ भी हमें मंज़ूर नही है। हमने 1 माह से अधिक का समय अपने संघर्ष में बिताया है। इस आंदोलन के दौरान हम मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक रूप से टूट चुके है। किंतु हमारे हौसले बुलंद हैं। हम सरकार से अपना नियमितीकरण का अधिकार लेकर रहेंगे।

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