सरकार, आर्थिक स्थिति पर एक श्वेत पत्र तो बनता है | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
सुनो सरकार, दिसम्बर 2019 अर्थात आज से एक पखवाड़े पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति  बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक के २  से ६ प्रतिशत के दायरे को भी लांघ गया है । रघुराम राजन, ऊर्जित पटेल, विरल आचार्य इसके मूल कारण “अर्थनीति पर अस्पष्टता” को लेकर ही क्षुब्ध थे और वे रिजर्व बैंक से अपना नाता तोड़ गये थे, अब नतीजा सबके सामने हैं | आपकी किताबों में आंकड़े न तो जनता ने दर्ज किये हैं और न प्रतिपक्ष ने | दिसम्बर के आंकड़ों की बानगी देखिये, इस माह में   खाद्य मुद्रास्फीति १४.१२ प्रतिशत रही जबकि इससे पिछले माह यह १०.०१ प्रतिशत थी। इसके लिए सब्जियों और दालों की बढ़ी हुई कीमत उत्तरदायी थी। खुदरा महंगाई ने ऐसे वक्त तय लक्ष्य का उल्लंघन किया है जब वृद्घि में तेजी से धीमापन आया था। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के  ७.५ प्रतिशत  की नॉमिनल दर से बढऩे की उम्मीद लगाई जा रही है | सवाल यह है कि यह उम्मीद भी  कैसे? इस पर एक श्वेत पत्र की उम्मीद देश का हर नागरिक कर रहा है |

जानकारों का कहना है नीतिगत दरों में १३५  आधार अंकों की कमी करने के बाद आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने दिसंबर में ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का एकदम उचित निर्णय लिया है। ऐसा मोटे तौर पर मौद्रिक नीति संबंधी जोखिम के कारण किया गया। मौद्रिक नीति के अलावा खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि आगामी बजट २०२०-२१  को भी प्रभावित करेगी । कम मुद्रास्फीति राजग सरकार की उपलब्धियों में से एक रही है। ऐसे में आगामी बजट में धीमी आर्थिक वृद्घि और बढ़ती मुद्रास्फीति दोनों को साधना आसान नहीं होगा। बजट प्रस्तुत होने के कुछ दिन बाद एमपीसी मौद्रिक नीति की दिशा स्पष्ट करेगी। हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि खाद्य वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति अस्थायी हैऔर आने वाले महीनों में इसमें कमी आएगी। एमपीसी को और सतर्कता बरतनी होगी। मूल मुद्रास्फीति जहां सहज स्तर पर है, वहीं ताजा शीर्ष मुद्रास्फीति के आंकड़े फरवरी की बैठक में दरों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी की संभावना खारिज करते हैं।

मौजूदा परिस्थित में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर एमपीसी कब तक दरों को लंबित रखेगी। दो बातें ध्यान देने लायक हैं। पहली, आरबीआई के मई २०१९ के एक शोध पत्र में कहा गया कि मुद्रास्फीति के व्यापक अनुमानों में चूक होती है, क्योंकि उसे खाद्य कीमतों से लगने वाले झटकों का अंदाजा नहीं होता। खासतौर पर सब्जियों जैसी खराब होने वाली चीजों की कीमतों का तो बिलकुल भी नहीं |अनुमान में कमियों का संबंध खुदरा मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों के भार से है। चूंकि बीते सालों में खाद्य कीमतों में गिरावट के अनुमान नहीं लगाए जा सके, इसलिए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इसमें इजाफे के अनुमान लगाने में भी कठिनाई होगी। दूसरी बात, यदि आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों तक मुद्रास्फीति के लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहा तो उसे केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इसमें उसे नाकामी के कारण बताने होंगे और प्रस्तावित कदमों का भी जिक्र करना होगा। उसे यह भी बताना होगा कि वह कितने समय में लक्ष्य को हासिल करेगा। स्पष्ट है केंद्रीय बैंक ऐसी स्थिति से बचना चाहेगा। इस  बचाव की मुद्रा के अनुमान दिखने लगे हैं |

 वस्तुत: मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने वाले ढांचे के कारण आने वाले महीनों में आरबीआई बड़ी परीक्षा भी होने वाली है। इस संदर्भ में यह देखना अहम होगा कि आखिर आरबीआई किस हद तक अपने मुद्रास्फीति संबंधी अनुमान बदलता है और निकट भविष्य में खाद्य कीमतें कैसा व्यवहार करती हैं। भारतीय स्टेट बैंक का एक शोध बताता है कि सब्जियों की मुद्रास्फीति में इजाफा होने के दो महीने बाद प्रोटीन की महंगाई में इजाफा होता है। इसके अतिरिक्त वैश्विक खाद्य कीमतों में भी अहम इजाफा हुआ है। ऐसे में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के जोखिम के साथ मौद्रिक नीति आगामी तिमाहियों में वृद्घि को सहारा देने की स्थिति में नहीं होगी। ऐसे में आर्थिक स्थिति में सुधार की जिम्मेदारी पूरी तरह सरकार पर होगी। इसका खाका बजट में सामने आएगा, तब सरकार आपके पास कहने को कुछ ऐसा नहीं होगा जिस पर सहज विश्वास हो | पारदर्शिता प्रजातंत्र में गुण कहा जाता हैं | वर्तमान में यानि बजट के पहले देश के लिए एक श्वेत पत्र तो बनता है |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!