भोपाल। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा 5 वी एवं 8 वी की वार्षिक परीक्षाओं केवल शासकीय स्कूलों में बोर्ड पैटर्न लागू करने और निजी स्कूलों को इससे छूट दिए जाने को लेकर समग्र शिक्षक संघ ने इससे शिक्षा नीति के विरुद्ध बताते हुए शिक्षा मंत्री सचिव स्कूल शिक्षा और आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशचन्द्र दुबे, प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी, अशोक बुनकर के अनुसार संगठन ने शिक्षा मंत्री और स्कूल विभाग के प्रमुख अधिकारियों को पत्र में उल्लेख किया है कि निजी स्कूलों को बोर्ड पैटर्न से छूट देने का मतलब सरकारी स्कूलों को खत्म करना होगा, क्योंकि इससे फेल होने वाले छात्र निजी स्कूलों में प्रवेश लेने को विवश होंगे,इससे आगामी सत्र में सरकारी स्कूलों की दर्ज संख्या पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा,स्पष्ट है कि जब विद्यार्थियों को लोकल परीक्षा के माध्यम से उत्तीर्ण होने का अवसर मिलेगा तो वह बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए सरकारी स्कूलों में प्रवेश ही क्यों लेंगे? उन्होंने नियमों का तर्क देते हुए उल्लेख किया है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शासकीय तथा निजी विद्यालयों के लिए अलग-अलग परीक्षा नीति/पैटर्न लागू करने का कोई प्रावधान नहीं है। सम्पूर्ण म.प्र. में शासकीय तथा निजी विद्यालयों में एक समान परीक्षा प्रणाली लागू की जाये।
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा पांचवी और आठवीं की वार्षिक परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराने के निर्णय कराने का निर्णय लिया है जिसमे केवल शासकीय स्कूलों पर बोर्ड पैटर्न लागू किया है जबकि निजी स्कूलों को इससे मुक्त रखा है, जिसमें शासकीय स्कूलों के लिए प्रश्न पत्र राज्य स्तर पर तैयार करके भेजे जाएंगे, तथा वोर्ड पैटर्न पर परीक्षा केंद्र और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, तथा मूल्यांकन भी बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर कराया जाएगा जबकि निजी स्कूल अपने प्रश्न पत्र स्वयं तैयार करेंगे, तथा उनका मूल्यांकन भी शाला स्तर पर होगा, लेकिन विभाग इस दोहरी व्यवस्था सरकारी स्कूल के शिक्षको में काफी नाराजगी है!