विगत दिनों लोक शिक्षण संचालनालय ने उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया का शेड्यूल जारी किया शेड्यूल जारी करते ही विषय वर्ग वार पदों की संख्या उनका आरक्षण एवं जिलेवार पदों का विवरण दिया गया है इसको देख कर ही मध्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओं में जबरदस्त निराशा घर कर गई है जिसका कारण है माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में बिना पद बताएं भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई है एवं साथ ही साथ अब शेड्यूल जारी करते हुए उन्होंने युवाओं के साथ छलावा कर दिया है जिसका विवरण कुछ इस प्रकार:
मप्र शिक्षक भर्ती: सामाजिक विज्ञान में 90% आरक्षण
लोक शिक्षण संचालनालय ने 5670 पदों पर भर्ती हेतु काउंसलिंग का शेड्यूल जारी किया गया है जिनमें कुल 7 विषयों को शामिल किया गया है। सबसे पहला कि इन 5670 पदों में सामाजिक विज्ञान को कुल 60 पद दिए गए हैं और इनका सूक्ष्म परीक्षण करने के बाद यह पता चलता है कि इन 60 पदों में से मात्र 6 पद अनारक्षित वर्ग में आए हैं। यानी सामाजिक विज्ञान में 90% आरक्षण दिया गया। क्या यह नया संगत है??
मप्र शिक्षक भर्ती: पूरे प्रदेश में बायलॉजी के मात्र 50 पद रिक्त बताए
इसी प्रकार बायोलॉजी विषय में मात्र 50 पद दिए गए हैं जहां एक तरफ सरकार चाहती है कि बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि बड़े वहीं उन्होंने मात्र 50 पद देकर अपनी इस योजना पर खुद ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है!! इससे पहले माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन 2011 में हुआ था क्या आपको लगता है कि 2011 से लेकर 2020 में सामाजिक विज्ञान के मात्र 60 पद रिक्त हुए होंगे??
मप्र शिक्षक भर्ती: 5670 पदों में से सामाजिक विज्ञान के लिए 2000 पद होना चाहिए
माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा देने वालों में सबसे अधिक संख्या सामाजिक विज्ञान के छात्रों की रही है क्योंकि सामाजिक विज्ञान के छात्र ही सबसे अधिक बीएड एवं डीएड करते हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र एवं सामान्य पृष्ठभूमि से होते हैं और सरकार ने सबसे बड़ा छलावा इन्हीं वर्ग के विद्यार्थियों से किया है क्योंकि 5670 पदों में से जहां सामान्य विज्ञान के लिए कम से कम 2000 पदों को होना था वहीं उन्होंने मात्र 60 पद देकर इन युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है..
पात्रता परीक्षा से पहले बता देते तो उम्मीदवार फार्म ही नहीं भरता
दूसरी बात अगर आपको सामाजिक विज्ञान एवं अन्य विषय जिनमें आपने 100 से नीचे पद निकाले हैं यह बात आपको भर्ती प्रक्रिया के समय ही पदों का विवरण देते हुए बताना चाहिए था ताकि इन वर्ग के छात्र या तो यह भर्ती प्रक्रिया में सम्मिलित ही नहीं होते या इस प्रक्रिया से उम्मीद ही ना लगाते!!
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग सामाजिक विज्ञान ही पढ़ते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य पृष्ठभूमि के छात्र जो कि सरकारी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण करते हैं वह सबसे ज्यादा सामाजिक विज्ञान विषय से होते हैं जो बाद में BA,MA करते हैं और उनके पास कोई तकनीकी कौशल ना होने की वजह से बाद में वह अध्यापक बनने का सपना संजोए रहते हैं लेकिन सरकार केवल 60 पद निकालकर उनके सपनों को चकनाचूर कर देगी ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा।
अंग्रेजी विषय में उम्मीदवार कम रिक्त पदों की संख्या ज्यादा है
इस काउंसलिंग की प्रक्रिया में सबसे ज्यादा अंग्रेजी विषय को पद दिए गए हैं जबकि उनमें पास होने की संख्या उससे भी कम है। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं क्या आप नहीं चाहते कि बच्चों को सामाजिक विज्ञान का अध्ययन करना चाहिए ताकि वह भविष्य में लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दे सकें लेकिन जब वह स्कूल में सामाजिक विज्ञान का अध्ययन ही नहीं करेंगे तो वह यह कैसे कर पाएंगे??
अभी जनजातीय कार्य विभाग में काउंसलिंग होना बाकी है और उसमें भी सामाजिक विज्ञान के छात्रों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा यह देखकर लगता तो नहीं है। अतः सरकार से मेरा निवेदन है कि लोक शिक्षण संचालनालय को यह आदेश दिया जाए कि इन पदों में समुचित तालमेल बिठाया जाए। किसी एक पद में ज्यादा रिक्तियां देना एवं किसी एक पद को सामान्य से कम पद देना मध्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा है।
अतः सरकार सामाजिक विज्ञान,विज्ञान एवं सभी अन्य विषयों को बराबर बराबर पद दे ताकि ग्रामीण पृष्ठभूमि एवं सामान्य परिवार से आने वाले ग्रामीण युवा जिनके पास कोई तकनीकी कौशल नहीं है और वह केवल अध्यापन के क्षेत्र में ही रोजगार पा सकते हैं उनके साथ किसी भी प्रकार का छलावा ना हो पाए....
रानू पाठक