जीवन दाँव पर लगाकर नियमितीकरण की लड़ाई लड़ रहे अतिथि विद्वान | ATITHI VIDWAN NEWS

भोपाल। राजधानी भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अतिथिविद्वानों के आंदोलन को एक माह पूर्ण हो गया है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार हमने सरकार से नियमितीकरण की मांग करते हुए राजधानी भोपाल में आंदोलन के एक माह का समय पूर्ण कर लिया है। इस दौरान हमने अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से हरसंभव तरीक़े से नियमितीकरण हेतु अनुनय विनय कर लिया है। किन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा कोई सकारात्मक जवाब न दिया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने सरकार से इन प्रकार की संवेदनहीनता की उम्मीद नही थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं उच्च शिक्षा मंत्री से हमने अब भी आस लगाए रखी है कि वे हमारे कष्टों का निवारण जल्द करेंगे। 

एक माह के आंदोलन में खोया अपना साथी जबकि कई साथी बीमार

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार एक माह के आंदोलन ने हमसे जहां एक हमारे साथी को छीन लिया वहीं फालेन आउट करके नौकरी से बाहर कर दिए जाने के तनाव से कई साथी गंभीर रूप से बीमार है। उल्लेखनीय है कि नौकरी पर उत्पन्न इस संकट के कारण अतिथिविद्वान तनावग्रस्त है। अतिथिविद्वान डॉ समी खरे इस तनाव को झेल नही पाई एवं ह्दयाघात से उनका दुखद निधन हो गया। इसी प्रकार कई अतिथिविद्वान उच्च रक्तचाप एवं अन्य मानसिक व्याधियों का शिकार हुए है। एक 28 वर्षीय महिला अतिथिविद्वान को पैरालिसिस का अटैक आना कहीं न कहीं इस बात का द्योतक है कि आज अतिथिविद्वान सरकार की गलत नीति से अतिथिविद्वान तनावग्रस्त है व इसी तनाव के कारण कई बीमारियों का शिकार हो रहे है। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि इतनी दुर्दशा के बाद भी सरकार का अतिथिविद्वानों के प्रति नकारात्मक रवैया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं पीड़ादायक है। अपने जीवन की अंतिम सांस तक हम सरकार से अपना अधिकार, अपना नियमितीकरण मांगते रहेंगें।

नियमितीकरण तक जारी रहेगा आंदोलन


अतिथिविद्वान नियामितिकारण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार अतिथिविद्वानों का धरना एवं आंदोलन नियमितीकरण को लक्ष्यकेन्द्रित करके प्रारम्भ किया गया था। हमारी सरकार से केवल एक मांग है, वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण इससे कम हमें मंजूर नही। सरकार जल्द से जल्द हमारे लिए नियमितीकरण की नीति बनाये।

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