जनसंख्या कैसे थमेगी ? | EDITORIAL by Rakesh Dubey

नई दिल्ली। ‘बच्चे दो ही अच्छे’ और ‘हम दो हमारे दो’ जैसे नारे सिर्फ नारे ही रह गये। परिवार नियोजन के लिए लोगों को प्रेरित करने के इरादे से कुछ राज्यों ने पंचायत स्तर पर दो संतान वाले व्यक्तियों को ही चुनाव लड़ने की पात्रता देने का कानून बनाया। हरियाणा द्वारा बनाये गये कानून पर उच्चतम न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगाई थी। असम सरकार ने हाल ही में ‘हम दो हमारे दो’ के सिद्धांत पर अमल करते हुए सिर्फ उन्हीं लोगों को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया है, जिनके दो संतानें हैं। वैसे तो यह निर्णय एक जनवरी, 2021 से लागू होगा। असम सरकार की मंशा साफ है, अगर दो से अधिक बच्चे हुए तो सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। मध्यप्रदेश जैसे कुछ राज्य भी सी प्रकार की नीति पर विचार कर रहे हैं |

केंद्र सरकार असम में लागू दो संतानों का पैमाना लागू करने के निर्णय के बहाने इस पर होने वाली प्रतिक्रिया जानना चाहती है । न्यायपालिका भी देश में बढ़ती आबादी और तेजी से कम हो रहे संसाधनों पर चिंता व्यक्त कर चुकी है। हरियाणा में दो से अधिक संतान वाले व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने संबंधी कानून को वैध ठहराते हुए 2004 में उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा था कि देश में तेजी से बढ़ रही आबादी पर कानून के माध्यम से अंकुश लगाना राष्ट्र हित में है। न्यायालय ने एक अन्य मामले में तो यहां तक कहा था कि यदि तीसरी संतान को गोद दे दिया जाये तो भी ऐसा व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य होगा। इसके बावजूद जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है |

बढ़ती आबादी का ही नतीजा है कि पूरे देश में रहने, खाने और रोजगार जैसी मूलभूत जरूरतों का अभाव बढ़ता ही जा रहा है। आवास की समस्या और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए ताल-तलैयों पर कब्जा, वन क्षेत्रों में कब्जा और अवैध तरीके से वनों की कटाई हो रही है, जिसने देश के सामने स्वच्छ हवा की गंभीर समस्या पैदा कर दी है।
पंचायत स्तर के चुनावों की तरह ही संसद और विधानमंडलों के चुनावों में भी दो संतानों का फार्मूला लागू कराने के लंबे समय से प्रयास हो रहे हैं, लेकिन इसमें अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है। देश में तेजी से खत्म हो रहे प्राकृतिक संसाधनों को लेकर हर मंच पर चिंता व्यक्त की जा रही है। यह मांग हो रही है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कानून में संशोधन किया जाये और संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया आयोग के सुझाव के अनुरूप सविधान में अनुच्छेद 47-A जोड़ा जाये।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून में संशोधन करके तीसरी संतान को मतदान के अधिकार और सरकारी नौकरी से वंचित करने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। इस मांग की एक वजह संविधान के कामकाज की समीक्षा करने वाले न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया आयोग का वह सुझाव भी है, जिसमें सविधान में अनुच्छेद 47-A जोड़ने की बात कही गयी थी। इस बाबत एक मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। तर्क दिया गया है कि देश में बेरोजगारी, गरीबी, लगातार बढ़ रहे बलात्कार, घरेलू हिंसा, संगीन अपराधों, प्रदूषण तथा जल, स्वच्छ वायु, जंगल और अन्य संसाधनों के तेजी से खत्म होने की मुख्य वजह बढ़ती आबादी है। इस पर नियंत्रण पाये बगैर ‘स्वच्छ भारत’ और ‘बेटी बचाओ’ जैसे अभियान भी पूरी तरह सफल नहीं हो पायेंगे।

इस याचिका में परिवार नियोजन के नियमों को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया गया था। इनमें सरकारी नौकरियों, सब्सिडी और मदद के लिए दो संतानों का मानक निर्धारित करने की बात कही गई थी। इसका पालन नहीं करने वोट देने, चुनाव लड़ने, संपत्ति, आवास और मुफ्त कानूनी सहायता जैसे विधायी अधिकार वापस लेने का सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था। जनसंख्या पर नियंत्रण के उद्देश्य से नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल में 79वां संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। इसमें प्रस्ताव किया गया था कि दो से अधिक संतानों वाला व्यक्ति संसद के किसी भी सदन या राज्यों के विधानमंडल का चुनाव लड़ने के अयोग्य था।

इस समय, दो संतानों का फार्मूला पंचायत स्तर के चुनावों के लिए कुछ राज्यों में लागू है। इनमें हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सहित कई राज्य शामिल हैं। सरकारी नौकरियों में दो संतानों का फार्मूला लागू करने के असम सरकार के निर्णय के बाद जनसंख्या नियंत्रण के बारे में केन्द्र सरकार के साथ ही दूसरे राजनीतिक दलों द्वारा शासित राज्यों का रुख देखना दिलचस्प होगा। 
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !