हड़ताली दिल्ली पुलिस ने किरण बेदी को क्यों याद किया, पढ़िए 31 साल पुरानी घटना

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। वकीलों और पुलिस कर्मचारियों के बीच हिंसक झड़प के बाद वकील और पुलिस कर्मचारी दोनों ही हड़ताल पर चले गए। दिल्ली पुलिस के कर्मचारी रात 10:00 बजे तक हड़ताल पर रहे। इस दौरान जब दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक उनसे मिलने पहुंचे तो कर्मचारियों ने नारे लगाने शुरू किए " पुलिस कमिश्नर कैसा हो किरण बेदी जैसा हो" सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस के लोग 31 साल बाद किरण बेदी को क्यों याद कर रहे हैं। और जवाब यह है कि 31 साल पहले भी इसी तरह की एक घटना हुई थी तब किरण बेदी ने वकीलों पर लाठीचार्ज करा दिया था।

क्या हुआ था 31 साल पहले: किरण बेदी की कहानी

यह ताजा घटनाक्रम 31 साल पहले की आईपीएस किरण बेदी से जुड़ी घटना की भी यादें कर रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस.एन. ढींगरा को आज भी वो दिन याद हैं। वे बताते हैं तब कैसे और क्या हुआ था। तब किरण बेदी डीसीपी थीं, दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच जमकर बवाल मचा था। तमाम अदालतों को बंद करा दिया गया था। 

यह घटना 17 फरवरी 1988 की है। इस दिन डीसीपी किरण बेदी के दफ्तर में वकील पहुंचे हुए थे। इस बीच किसी बात पर बहस हो गई जो झड़प में बदल गई, इस दौरान बेकाबू भीड़ के कारण हालात ऐसे हो गए कि किरण बेदी को लाठीचार्ज कराना पड़ा। इस असर यह हुआ कि वकीलों ने दिल्ली की सभी अदालतों को बंद करा दिया। हालांकि इसके बाद भी एक न्यायाधीश ऐसे थे, जिन्होंने अपनी अदालत को खोले रखा और फैसले सुनाए। 

जज ढींगरा ने बताया कि उस वक्त वह वैवाहिक न्यायालय (मेट्रोमोनियल कोर्ट) में बैठते थे। बवाल मचने के बाद मेरी अदालत को खुला देख विरोध कर रहे वकील आए और अदालत बंद करने को कहा। हड़ताली वकीलों को मैंने दो टूक बता-समझा दिया कि हड़ताल वकीलों की है अदालतों की नहीं। बस इसके बाद फिर कोई हड़ताली वकील मेरी अदालत बंद कराने नहीं आया। हालांकि इसके बाद भी बवाल थमा नहीं था, तब दिल्ली हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। 

पूर्व न्यायाधीश ढींगरा ने बताया कि किरण बेदी और उनके मातहत पुलिसकर्मियों से पिटे हड़ताली वकीलों के बवाल और बढ़ती अटपटी हरकतों के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतत: मामले का स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट की 13-12 के अनुपात में बैठी जजों की दोनों बेंच ने अपना फैसला वकीलों के पक्ष में सुना दिया। बस इस फैसले के बाद वकील ऐसे बेकाबू हुए, जो आज तक सबके सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि दरअसल यह सब दादागिरी और चौधराहट का चक्कर था।

वकील और पुलिस के बीच विवाद क्यों हुआ

दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच ताजा विवाद कुछ इस तरह शुरू हुआ था। दरअसल बीते शनिवार (2 नवंबर) दोपहर बाद उत्तरी दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट परिसर में लॉकअप के बाहर कार पार्क करने को लेकर वकीलों और पुलिस के बीच बहस हो गई। जो कुछ देर बाद बवाल में तब्दील हो गई। गुस्साए वकीलों ने पुलिसकर्मियों को घेरकर उनके साथ बदसलूकी शुरू कर दी।

पुलिस ने फायरिंग क्यों की

इसके बाद वकीलों की भीड़ बढ़ती देख पुलिसकर्मियों ने भी हवा में गोली चला दी। वकीलों का कहना है कि एक गोली उनके साथी के सीने में लग गई। इससे गुस्साए वकीलों ने पुलिसकर्मियों को पीट दिया। इसके साथ ही कोर्ट परिसर में खड़ी एक जिप्सी और 13 बाइकों सहित 17 वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

पूरे मामले में एक एडीसीपी, दो एसएचओ सहित 20 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। जबकि वकीलों ने अपने आठ साथियों के घायल होने की बात कही है। देर शाम तक कोर्ट परिसर में तनाव का माहौल था।

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