इंदौर। मध्य प्रदेश के आबकारी मंत्री एवं प्रमुख सचिव के कथित आशीर्वाद प्राप्त असिस्टेंट कमिश्नर आलोक खरे के यहां लोकायुक्त छापे में अकूत संपत्ति का खुलासा हो रहा है। इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने बयान दिया है कि दागी अफसरों को नौकरी से निकाल देना चाहिए। जिस तरह केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे रही है, मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए।
यह अफसर नहीं धन पशु है, कठोर दंड होता चाहिए
गोपाल भार्गव ने इंदौर में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये अफसर नहीं, धन पशु हैं। उन्होंने कहा-ये अफसर क्या करेगा डेढ़ सौ करोड़ रुपए इकट्ठा करके, कौन सी पार्टियां चलाना हैं। कौन से जनहित के काम करने हैं। कौन से परमार्थ के काम करना हैं, कौन से भंडारे चला रहा है। अफसर क्या कर रहे हैं इतने पैसों का ये भी एक सवाल है। अधिकारियों और नेताओं में एक भूख होती है। ये जनता की गाढ़ी मेहनत से कमाया हुआ पैसा है। ऐसे अधिकारियों के लिए कठोर से कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए।
सिर्फ सजावटी सामान की कीमत एक करोड़
आलोक खरे के भोपाल के बंगले पर अल सुबह 4 बजे तक सर्चिंग की कार्रवाई चली। इसमें 1 करोड़ कीमत का 221 बेशकीमती सजावटी सामान मिला। आलोक खरे को लेकर लोकायुक्त की टीम आज इंदौर पहुंची जिसके बाद इंदौर के फ्लैट की सर्चिंग की जा रही है। साथ ही 38 बैंक अकाउंट और लॉकरों की भी जांच की जाएगी।
विभाग में दबदबा था, भोपाल में रहते थे
आलोक कुमार खरे का दबदबा इतना था कि वो अधिकतर समय भोपाल में रहते थे। भोपाल से ही इंदौर ऑफिस चलाते थे। वो हफ्ते में एक दो दिन ही इंदौर ऑफिस पहुंचते थे। वो खुद को विभागीय मंत्री का करीबी बताकर रौब झाड़ते थे। इसलिए बडे़ अफसर भी उनसे मुख्यालय छोड़ने का कारण नहीं पूछते थे। एक प्रिंसिपल सेक्रेट्री का भी उन्हें संरक्षण मिला हुआ था।