ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से किनारा करने का पूरा मूड बना लिया है | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में खबर आ रही है कि उन्होंने कांग्रेस से किनारा करने का पूरा मूड बना लिया है। दिल्ली की मीडिया में खबरें चल रही हैं कि संजय निरुपम और ज्योतिरादित्य सिंधिया अब कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले 1 सप्ताह से मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने कांग्रेसी व मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के खिलाफ कुछ बयान भी दिए हैं। इसके अलावा अपनी बुआ भाजपा नेता यशोधरा राजे सिंधिया एवं वसुंधरा राजे सिंधिया जिस अंदाज में उन्होंने पिछले दिनों मुलाकात की, उससे कयासों को बल मिलता है। कांग्रेस में इन दिनों राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं को किनारे करने का अभियान चल रहा है और ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पड़ गए हैं।

क्यों बदले ज्योतिरादित्य सिंधिया के सुर?

बात साल 2018 के दिसंबर महीने की है। जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और इसमें से 3 प्रदेश में कांग्रेस को जीत का स्वाद चखने को नसीब हुआ। इसमें सबसे अहम मध्यप्रदेश की जीत थी। जहां, पिछली तीन बार से शिवराज सिंह चौहान का जबरदस्त दबदबा हुआ करता था। इस बार भी शिवराज की छवि में ज्यादा गिरावट नहीं आई। चुनावी मतगणना के वक्त भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। रूझनों में कभी भाजपा आगे बढ़ती रही तो कभी कांग्रेस। 10 सीटों पर बादस्तूर कशमकश का लंबा दौर चलता रहा और फिर कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आ गई लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस पार्टी में लंबा संघर्ष चला। कोई कमलनाथ को बतौर सीएम देखना चाहता था, तो कोई ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजतिलक का ख्वाब सजाए बैठा था। मुलाकात, बैठक और बातचीत का सिलसिला चलता रहा लेकिन, इसी बीच तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया जिसमें वो बीच में खड़े थे। एक तरफ सिंधिया तो दूसरी तरफ कमलनाथ... तस्वीर में दोनों ही नेता के चेहरे पर मुस्कान थी।

मुस्कान की चमकान का बखान

इस मुस्कान की चमकान से इस बात का हर किसी को अंदाजा हो चुका था कि कमलनाथ का पलड़ा ज्यादा भारी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया मुस्कुराने की कोशिश तो कर रहे थे लेकिन उनके चेहरे पर कहीं न कहीं थोड़ी सी सिकन थी लेकिन राहुल ने संशय बरकरार रखा था। अगले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कमलनाथ और सिंधिया दोनों पहुंचते हैं लेकिन सिंधिया के हाव-भाव से हर किसी ने भाप लिया था कि सूबे की बागडोर उनके हाथों में नहीं सौंपी जाएगी। कुछ मिनटों बाद इसकी आधिकारिक पुष्टि भी कर दी गई और राहुल गांधी के सबसे करीब माने जाने वाले नेता को दरकिनार करने का पहला पन्ना लिख दिया गया। ये सिलसिला शुरू हुआ तो रुकने का नाम नहीं लिया। 

लोकसभा चुनाव में हार ने हालात बदले 

ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए दूसरा बड़ा झटका था लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम। उस सिंधिया राजवंश की परंपरागत सीट गुना लोकसभा से चुनाव हार गए थे। इसके साथ ही हालात भी बदले और कांग्रेस में उनका वजन काफी कम हो गया। राहुल गांधी से दोस्ती के कारण एक प्रभाव था परंतु पिछले दिनों राहुल गांधी को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से एक खास रणनीति के तहत हटा दिया गया। सोनिया गांधी के वापस आते ही कांग्रेसमें राहुल गांधी की टीम को किनारे करने का अभियान शुरू हो गया।

प्रदेश अध्यक्ष की मांग भी पूरी नहीं हुई 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का चेहरा थे। भाजपा का पूरा चुनाव अभियान ज्योतिरादित्य सिंधिया को फोकस करके बनाया गया था। कांग्रेस की तरफ से सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं हुई थी फिर भी यह माना जा रहा था कि यदि कांग्रेस चुनाव जीतती है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ही मुख्यमंत्री होंगे। अंत समय में हालात बदले और कमलनाथ को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया। लोकसभा चुनाव हारने के बाद सिंधिया समर्थकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक वजनदार स्थिति देने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त करने की मांग की। दिल्ली से खबरें आई थी कि ज्योतिरादित्य का नाम घोषित होने वाला है. लेकिन उसके 1 दिन पहले सीएम कमलनाथ दिल्ली गए, सोनिया गांधी से मुलाकात की, और प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा टल गई।

...और सिंधिया ने खोल दिया खिलाफत मोर्चा

1). हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को आत्मचिंतन की नसीहत दी है। दरअसल, राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा को लेकर सलमान खुर्शीद का अजीबो-गरीब बयान आया जिसपर अपनी राय देते हुए सिंधिया ने कांग्रेस को ये सुझाव दिया था।
2). कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने उनकी कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। और किसानों की कर्जमाफी की सच्चाई के सबूत पेश कर दिए। उन्होंने अपनी ही सरकार को नाकाम बता दिया।
3). अब अपनी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे से सिंधिया की गर्मजोशी भरी मुलाकात ने सियासी माहौल में गर्माहट ला दी है। दरअसल, मौका था ग्वालियर में विजया राजे सिंधिया की 100वीं जयंती का, जिसमें अरसे बाद राजघराने के ये सदस्य एकसाथ नजर आए। इतना ही नहीं, ज्योतिरादित्य ने बुआ यशोधरा राजे को गले लगाकर अपनी खुशी भी जाहिर की।
सिंधिया परिवार की इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सिंधिया जल्द ही कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा से नाता जोड़ सकते हैं।

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