ग्वालियर। नगर निगम प्रशासन से खफा होकर अधिकारी व कर्मचारियों की कार्यशैली से बेहद नाराज निगम के पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों के पार्षद एकजुट हो गये हैं। इसके लिये भाजपा के ग्वालियर विधानसभा के कुछ पार्षदों ने पहल करते हुये अविश्वास प्रस्ताव की सूची पर पिछले तीन दिन में 52 पार्षदों के हस्ताक्षर भी करवा दिये हैं। इसमें कुछ पार्षद कांग्रेस के भी शामिल हैं।
मगर महापौर की दावेदारी दिखा रहे एक पार्षद ने महल के एक कर्मचारी के कहने पर कांग्रेस पार्षदों के नाम इस सूची से हटवा दिये हैं। महल के यह कर्मचारी जो ब्राह्मण समाज के हैं खुद को महाराज का करीबी बताते हैं और वर्तमान में मंत्री के भाई एक विधायक और हारी हुई कांग्रेस की पार्षद प्रत्याशी के पति से इनकी नजदीकी बहुत ज्यादा चर्चाओं में है। बताया जाता है कि भाजपा के कुछ असंतुष्ट पार्षदों के कहने पर कांग्रेस व भाजपा के पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिये हैं और इसके माध्यम से वे परिषद के भीतर और बाहर अपनी बात मनवाना चाहते हैं।
हालांकि पिछले छह महीने से पार्षदों के कोई भी काम नहीं हो रहे हैं। उनके वार्डों के विकास कार्य रुक गये हैं और क्षेत्रीय विधायक के कहने पर निगम अधिकारी काम कर रहे हैं। इस तरह की शिकायतों को लेकर भाजपा के पार्षद अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। मगर इसमें कांग्रेस के पार्षदों के शामिल होने के बाद यह बात पुख्ता हो गई है कि कांग्रेस के पार्षद भी निगमायुक्त और निगम अधिकारियों से परेशान हैं। अविश्वास प्रस्ताव की जानकारी जैसे ही निगमायुक्त को लगी उन्होंने महल में अपने सम्पर्कों से रुकवाने के लिये कहा है।
इसके बाद कांग्रेस के ही एक पार्षद जो दक्षिण विधानसभा से हैं और विधायक पाठक के नजदीकी माने जाते हैं। वे अब भाजपा पार्षदों को फोन लगाकर इसे रुकवाने के लिए कह रहे हैं। भाजपा पार्षदों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि कांग्रेस के विधायकों के कहने पर निगम अधिकारियों ने उनके वार्डों के काम रोक दिये हैं। निगमायुक्त तो उनसे किसी भी काम से पहले पूछते हैं कि इस काम के बारे में मंत्री जी को बताया है कि नहीं। इस तरह भाजपा पार्षदों की नाराजगी बढ़ती चली जा रही है।