नमक के नाम पर देश में लूट मची है | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
आज़ादी के इतने बरस बाद भी हम नमक के मामले में स्वतंत्र नहीं हुए हैं। महात्मा गाँधी ने जिस नमक के बनाने और उस लगने वाले टैक्स को लेकर आन्दोलन खड़ा किया था उसी नमक पर भारत के निवासियों से नमक निर्माता कम्पनी मनमाना टैक्स तो वसूल कर ही रही है पर ये टैक्स सरकारी खजाने में नहीं जाता, नमक निर्माता सीधे डकार जाते हैं। देश में बहुत सी कम्पनी नमक बनाती हैं। हर कम्पनी के पैकिट पर बिक्री मूल्य लिखा होता है “अधिकतम मूल्य समस्त करों सहित”। नागरिक भुगतान कर देते हैं। जबकि सरकार द्वारा नमक पर कोई टैक्स नहीं है। इस तरह 1 रूपये किलो का नमक नागरिकों को 15 से 25 रूपये किलो बेचा जाता है और टैक्स के नाम पर वसूली राशि भी हजम कर ली जाती है। नमक के प्रकार और पैकिंग के हिसाब से ये कीमत इससे ज्यादा भी होती है। जैसे लो सोडियम, आयोडीन युक्त, आयरन युक्त आदि। रिलायंस फ्रेश सहित बाज़ार की कई दुकानों पर उपलब्ध पैकिट पर मूल्य टैक्स सहित लिखा है जो सामान्य रूप से स्पष्ट दृष्टिगोचर है।

अब नमक की गुणवत्ता पर बात। आम तौर पर जो नमक प्रयोग होता है वो समुद्री नमक है, जिसे सोडियम क्लोराइड कहा जाता है रसायन शास्त्र की भाषा में। दूसरा सेंधा नमक, रसायन शास्त्र इसे पोटेशियम क्लोराइड कहता है | सेंधा नमक समुद्र में बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। यह मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पिसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है ।सोडियम क्लोराइड और पोटेशियम क्लोराइड के गुण धर्मों का विवेचन फिर कभी | भारत मे १९३०  से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही आज भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है|

 ग्लोबलाईजेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो  ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे १ रूपये में २-३ किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया २० रूपये किलो |कई ब्रांड तो  आज तो 20 रूपये को भी पार कर गये है।

दुनिया के ५६ देशों ने आयोडीन युक्त नमक ४०  साल पहले प्रतिबंधित कर दिया है | इन देशो  की सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया (१९४० से १९५६  तक ) तो अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने प्रतिबन्ध लगाया। आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक नहीं खाता था सब साधारण नमक या सेंधा नमक ही खाते थे।

अब नमक के इस झमेले में विदेश के साथ देश के भी कुछ मुनाफाखोर शामिल हो गये हैं | जो सरकार के टैक्स के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं और आम जनता के साथ खिलवाड़ | यह खिलवाड़ स्वास्थ्य और धन दोनों से ही है | आज बाज़ार में साधारण नमक जिसे “डल्ले वाला नमक” कहते हैं | बड़ी मुश्किल से मिलता है, इसे उपलब्ध न कराने के खेल में सरकार भी शामिल है | अफ़सोस अब कोई गाँधी नहीं है, जो नमक बनाये और कोई ऐसा हितचिन्तक नहीं है जो बताये कि कौन सा नमक खाएं और  ऐसी सलाह दे जो पूरे देश के लिए उपयुक्त हो 
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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